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म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले टैक्स के नियमों को जरूर जान लें, नहीं तो आपका रिटर्न काफी घट जाएगा

अगर कोई फंड इंडियन कंपनियों के शेयरों में कम से कम 65 फीसदी तक इनवेस्ट करता है तो वह इक्विटी फंड की कैटेगरी में आता है। इस कैटेगरी में सामान्य इक्विटी फंड, ईटीएफ, इंडेक्स फंड्स, थिमैटिक फंड्स, हाइरब्रिड फंड्स, आर्बिट्राज फंड्स और इक्विटी सेविंग्स फंड्स आते हैं

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Sep 02, 2025 पर 6:55 PM
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले टैक्स के नियमों को जरूर जान लें, नहीं तो आपका रिटर्न काफी घट जाएगा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वाले लोगों को सिर्फ रिटर्न के पीछे नहीं भागना चाहिए। उन्हें फंड के टैक्स के नियमों को जान लेना के बाद निवेश का फैसला करना चाहिए।

पिछले कुछ सालों में म्यूचुअल फंड्स पर टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव हुए हैं। पहला बड़ा बदलाव 1 अप्रैल, 2023 से लागू हुआ था। दूसरा बड़ा बदलाव 23 जुलाई , 2024 से लागू हुआ था। कुछ समय पहले तक म्यूचुअल फंड्स की स्कीम दो कैटेगरी-इक्विटी या डेट में बंटी होती थीं। टैक्स के लिहाज से इक्विटी स्कीम फायदेमंद थी। लेकिन, सरकार ने 2023 में कई बदलाव किए। इंडेक्सेशन बेनेफिट्स खत्म किए। होल्डिंग पीरियड में बदलाव किया। 2024 में टैक्स के रेट्स में बदलाव हुए। 2025 में 'स्पेशिफायड फंड' की परिभाषा बदली गई। इससे अगर आप अच्छा रिटर्न कमाना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड की स्कीम में निवेश करने से पहले उस स्कीम से जुड़े टैक्स के नियमों को जान लेना जरूरी है।

टैक्स के लिहाज से म्यूचुअल फंड की तीन कैटेगरी

एडलवाइज म्यूचु्अल फंड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट निरंजन अवस्थी ने कहा, "अब Mutual Fund की स्कीम को टैक्स के लिहाज से तीन कैटेगरी में बांटा जा सकता है। इनमें इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड, स्पेशिफायड/डेट ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स और अन्य म्यूचुअल फंड्स शामिल हैं। इक्विटी फंड के टैक्स के नियम आसान हैं। नॉन-इक्विटी फंड्स के नियम अलग-अलग हैं। कुछ मामलों में ये पर्चेज और रिडेमप्शन की तारीख पर निर्भर करते हैं।"

इक्विटी फंड के लिए सबसे जरूरी शर्त

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