रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए लोग एनपीएस और ईपीएफ में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। दोनों का लक्ष्य एक है, लेकिन काम करने के तरीके में काफी फर्क है। दोनों के नियम भी अलग हैं। टैक्स के नियमों के लिहाज से भी दोनों में काफी फर्क है। एक बात ध्यान में रखने वाली है कि ईपीएफ में सिर्फ प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले लोग कंट्रिब्यूट कर सकते हैं, जबकि एनपीएएस में सेल्फ-एंप्लॉयड लोग भी कंट्रिब्यूट कर सकते हैं। इसका मतलब है कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग ईपीएफ और एनपीएस दोनों ने इनवेस्ट कर सकते हैं। ईपीएफ में निवेश करना उनके लिए अनिवार्य है, जबकि एनपीएस में निवेश करना उनकी इच्छा पर निर्भर करता है।