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PPFAS म्यूचुअल फंड की इस स्कीम में निवेश कर टैक्स-फ्री रिटर्न का उठा सकते हैं फायदा

IDCW के विकल्प में इनवेस्टर को रेगुलर पेआउट के साथ ही कैपिटल विड्रॉल की सुविधा मिलती है। अगर इनवेस्टर सालाना इनकम 12 लाख रुपये से कम है तो वह इस स्कीम से होने वाली सालाना इनकम पर टैक्स सेविंग्स कर सकता है

अपडेटेड Oct 03, 2025 पर 6:15 PM
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म्यूचुअल फंड्स के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। लेकिन, IDCW पर टैक्स के अलग नियम लागू होते हैं।

पीपीएफएएस म्यूचुअल फंड की पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड में इनवेस्टर कर टैक्स-फ्री रिटर्न का फायदा उठा सकते हैं। दरअसल, फंड हाउस ने अपनी इस स्कीम में एक बड़े बदलाव का ऐलान किया है। यह बदलाव 31 अक्टूबर से लागू हो जाएगा। फंड हाउस ने कहा कि इस स्कीम में आईडीसीडब्ल्यू का भी ऑप्शन मिलेगा। पहले इस स्कीम में सिर्फ ग्रोथ का ऑप्शन उपलब्ध था। आईडीसीडब्ल्यू का मतलब इनकम डिस्ट्रिब्यूशन कम कैपिटल विड्रॉल है।

IDCW के विकल्प का मतलब क्या है

IDCW के विकल्प में इनवेस्टर को रेगुलर पेआउट के साथ ही कैपिटल विड्रॉल की सुविधा मिलती है। अगर इनवेस्टर सालाना इनकम 12 लाख रुपये से कम है तो वह इस स्कीम से होने वाली सालाना इनकम पर टैक्स सेविंग्स कर सकता है। दरअसल सरकार ने यूनियन बजट 2024 में ऐलान किया था कि नई टैक्स रीजीम में 12 लाख रुपये की इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा। म्यूचुअल फंड्स के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। लेकिन, IDCW पर टैक्स के अलग नियम लागू होते हैं।


इनकम 12 लाख से कम तो गेंस पर नहीं होगा टैक्स

अगर IDCW के पेआउट के बाद भी इनवेस्टर की कुल इनकम 12 लाख रुपये से कम है तो उसकी टैक्स लायबिलिटी जीरो बनी रहेगी। इसके लिए इनवेस्टर को पीपीएफएएस के IDCW ऑप्शन के विकल्प का चुनाव करना होगा। IDCW का विकल्प हर साल इनवेस्टर को टैक्स-फ्री पार्शियल विड्रॉल की इजाजत देता है। इसका मतलब है कि जो टैक्सपेयर्स कम टैक्स स्लैब के तहत आते हैं, वे इस विकल्प का फायदा उठाकर टैक्स-फ्री इनकम हासिल कर सकते हैं।

IDCW विकल्प में पेआउंट की गारंटी नहीं

इनवेस्टर की कुल इनकम म्यूचुअल फंड स्कीम के आईडीसीडब्ल्यू के तहत मिलने वाले पेआउट के बाद 12 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हालांकि, यह ध्यान में रखना जरूरी है कि म्यूचुअल फंड स्कीम के IDCW विकल्प में पेआउट मिलता है। लेकिन, इसकी गारंटी नहीं होती है। दूसरा, अगर सालाना पेआउट 10,000 रुपये से ज्यादा है तो उस पर टीडीएस लागू होता है। हालांकि, फॉर्म 15जी/एच फाइल करने पर टीडीएस नहीं कटता है।

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निवेश पर रेगुलर इनकम में मदद करता है IDCW विकल्प

म्यूचुअल फंड की स्कीम में IDCW का विकल्प उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपने निवेश से रेगुलेर इनकम चाहते हैं, लेकिन वे अपने निवेश को बनाए रखना चाहते हैं। IDCW में इनवेस्टर्स को रेगुलर इनकम हासिल करने का मौका मिलता है। साथ ही वह जरूरत पड़ने पर कुछ यूनिट्स का रिडेम्प्शन कर सकता है।

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