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गुरुग्राम vs बेंगलुरु: कौन सा शहर ज्यादा ढीली करता है जेब, CA ने सोशल मीडिया पोस्ट में शेयर किया सबक

मीनल ने अपनी पोस्ट के आखिर में लिखा है कि महत्वाकांक्षा की एक कीमत होती है, और कभी-कभी यह इस बात पर निर्भर करती है कि आप उसे किस शहर में पूरा करना चाहते हैं। उनकी पोस्ट पढ़कर कुछ लोग यह जानकर हैरान हैं कि बेंगलुरु वास्तव में गुरुग्राम से सस्ता हो सकता है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Oct 05, 2025 पर 4:35 PM
गुरुग्राम vs बेंगलुरु: कौन सा शहर ज्यादा ढीली करता है जेब, CA ने सोशल मीडिया पोस्ट में शेयर किया सबक
मीनल गोयल CreateHQ की फाउंडर भी हैं।

बड़े शहर में एक अच्छी नौकरी मिलना हर किसी के लिए सुखद है। लगता है कि अब सब कुछ मैनेज हो जाएगा। लेकिन अगर सैलरी का ज्यादातर हिस्सा रहने, खाने-पीने और आनेजाने के किराए में ही खर्च हो जाए तो फिर इंसान का परेशान होना लाजमी है। ऐसे में बात जब गुरुग्राम और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों की हो तो फिर तो क्या ही कहा जाए। एक ही सैलरी हर जगह पर्याप्त हो यह जरूरी नहीं। सोशल मीडिया पर मीनल गोयल नाम की एक CA ने अपना ऐसा ही एक अनुभव शेयर किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे गुरुग्राम में रहना उन्हें बेंगलुरु में रहने से ज्यादा महंगा पड़ा।

मीनल गोयल CreateHQ की फाउंडर भी हैं। उनकी एजेंसी, ब्रांड्स को कंटेंट क्रिएशन को आगे बढ़ाने में मदद करती है। उन्होंने एक लिंक्डइन पोस्ट में लिखा, मैं जब पहली बार गुरुग्राम शिफ्ट हुई, तो रहने का किराया एक शॉक की तरह था। ऑफिस के पास एक अच्छे 1BHK का किराया लगभग 25000 रुपये महीने था। मेंटेनेंस और यूटिलिटीज का खर्च अलग से। हफ्ते में रेगुलर बेसिस पर बाहर खाना खाना मतलब और 6000 से 8000 रुपये का खर्चा। साथ ही कैब, किराने का सामान और वीकेंड प्लान भी मिला लें तो महीने का खर्च आराम से 45000 रुपये के पार चला जाता था।'

बेंगलुरु का क्या रहा अनुभव

पोस्ट में आगे लिखा है, 'बेंगलुरु थोड़ा सस्ता लगा। उसी तरह के अपार्टमेंट का मंथली किराया लगभग 18,000 रुपये। किराने का सामान और खाना थोड़ा सस्ता था, और ऑटो और कैब का किराया भी ऐसा नहीं लगता था कि जैसे लूट रहे हैं। ऐसे में वहां का मंथली खर्च लगभग 35000 रुपये के आसपास रहा।' मीनल आगे कहती हैं, 'पहली नजर में 10000 रुपये प्रति माह का अंतर जिंदगी बदलने वाला नहीं लग सकता। लेकिन इसे सालाना आधार पर देखें तो यह अंतर 1 लाख रुपये से ज्यादा का था। और मेरे लिए इसी अंतर ने तय किया कि मैं काम के अलावा कितनी बचत कर सकती हूं, कितना निवेश कर सकती हूं, या फिर जोखिम भी उठा सकती हूं।'

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