बड़े शहर में एक अच्छी नौकरी मिलना हर किसी के लिए सुखद है। लगता है कि अब सब कुछ मैनेज हो जाएगा। लेकिन अगर सैलरी का ज्यादातर हिस्सा रहने, खाने-पीने और आनेजाने के किराए में ही खर्च हो जाए तो फिर इंसान का परेशान होना लाजमी है। ऐसे में बात जब गुरुग्राम और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों की हो तो फिर तो क्या ही कहा जाए। एक ही सैलरी हर जगह पर्याप्त हो यह जरूरी नहीं। सोशल मीडिया पर मीनल गोयल नाम की एक CA ने अपना ऐसा ही एक अनुभव शेयर किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे गुरुग्राम में रहना उन्हें बेंगलुरु में रहने से ज्यादा महंगा पड़ा।