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Sovereign Gold Bonds: बीएसई और एनएसई में क्यों ज्यादा चल रही हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कीमत?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की किस्तों में एनएसई और बीएसई पर ट्रेडिंग होती है। 14 अगस्त, 2024 को सबसे ज्यादा लिक्विडिटी वाली एसजीबी की 15 किस्तों की औसत कीमतें उनके रेफरेंस प्राइस से 8 फीसदी ज्यादा थीं

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 16, 2024 पर 1:42 PM
Sovereign Gold Bonds: बीएसई और एनएसई में क्यों ज्यादा चल रही हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कीमत?
RBI ने एसजीबी की पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को पेश की थी। तब से वह SGB की 67 किस्तें जारी कर चुका है। इसके तहत एसजीबी की 14.7 करोड़ यूनिट्स जारी की गई हैं।

एनएसई और बीएसई में ट्रे़डिंग के लिए उपलब्ध सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) के कई किस्तों के प्राइस गोल्ड के रेफरेंस रेट से ज्यादा चल रहे हैं। उदाहरण के लिए सबसे ज्यादा लिक्विडिटी वाली एसजीबी की 15 किस्तों की औसत कीमतें 14 अगस्त, 2024 को उनके रेफरेंस प्राइस से 8 फीसदी ज्यादा थीं। आईबीजेएआरएटीईएस डॉट कॉम पर प्रकाशित 999 प्योरिटी गोल्ड की कीमत एसजीबी के लिए रेफरेंस रेट होती है।

RBI की पहली किस्त 2015 में आई थी

RBI ने एसजीबी (SGB) की पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को पेश की थी। तब से वह SGB की 67 किस्तें जारी कर चुका है। इसके तहत एसजीबी की 14.7 करोड़ यूनिट्स जारी की गई हैं। सभी किस्तें स्टॉक्स एक्सचेंजों पर लिस्टेड हैं। BSE और NSE के कैश सेगमेंट में इनमें ट्रेडिंग होती है। निवेशक अपने डीमैट अकाउंट के जरिए एसजीबी की यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। आरबीआई ने इस साल फरवरी से एसजीबी की नई किस्त जारी नहीं की है। इससे एसजीबी यूनिट्स की मांग बढ़ने की उम्मीद है। इससे एसजीबी की यूनिट्स की कीमतें उनके रेफरेंस रेट के मुकाबले और बढ़ सकती हैं।

स्टॉक्स एक्सचेंजों पर एसजीबी की कीमतें प्रीमियम पर होती हैं

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