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सरकार का बड़ा तोहफा, EPF में छूटे हुए कर्मचारियों को जोड़ने के लिए विशेष अभियान को मिलेगा 1 नवंबर से विस्तार

सरकार ने 1 नवंबर 2025 से 30 अप्रैल 2026 तक 'Employees' Enrolment Campaign 2025' शुरू की है, जिसके तहत 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच नौकरी में होने वाले, लेकिन EPF में शामिल न किए गए कर्मचारियों को अब EPF से जोड़ा जाएगा।

Edited By: Shradha Tulsyanअपडेटेड Oct 14, 2025 पर 4:18 PM
सरकार का बड़ा तोहफा, EPF में छूटे हुए कर्मचारियों को जोड़ने के लिए विशेष अभियान को मिलेगा 1 नवंबर से विस्तार

केंद्र सरकार 1 नवंबर 2025 से लेकर 30 अप्रैल 2026 तक एक विशेष अभियान “Employees’ Enrolment Campaign 2025” चलाने जा रही है, जिसका लक्ष्य उन लाखों कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से जोड़ना है जो 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच नौकरी पर थे, लेकिन किसी वजह से EPF योजना का हिस्सा नहीं बन पाए। यह पहल हरियाली सुरक्षा के दायरे को बढ़ाकर रोजगार क्षेत्र में औपचारिकता लाने का प्रयास करेगी।

इस अभियान की खासियत है कि नियोक्ता ऐसे कर्मचारियों का नामांकन कर सकेंगे जिनका EPF में पंजीकरण नहीं हुआ था। अगर कर्मचारी के वेतन से उनका हिस्सा काटा नहीं गया है, तो सरकार कर्मचारी के हिस्से का योगदान माफ करेगी, जबकि नियोक्ता को अपना हिस्सा देना होगा। साथ ही, नियोक्ताओं को मात्र 100 रुपये का नाममात्र दंडात्मक शुल्क ही भरना होगा, जिससे यह पहल बड़े पैमाने पर आकर्षक और सरल बनेगी।

2017 में इसी तरह का अभियान सफल रहा था जिसमें 2009-2016 के बीच छूटे कर्मचारियों को भी EPF में शामिल किया गया था। इससे सामाजिक सुरक्षा का दायरा व्यापक हुआ और अब उम्मीद है कि नया अभियान और भी ज्यादा कर्मचारियों को लाभ पहुंचाएगा। इसके अलावा, जो नियोक्ता इस अभियान के तहत नए कर्मचारियों का पंजीकरण कराएंगे, वे प्रधानमंत्री-विकसित भारत रोजगार योजना के अंतर्गत विभिन्न लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।

सरकार के इस कदम से रोजगार क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी, श्रमिकों को भविष्य निधि का सुरक्षा कवच मिलेगा, और नियोक्ताओं के लिए भी यह एक राहत भरा प्रोत्साहन होगा। ऑनलाइन नामांकन प्रक्रिया आसान और तेज होने से अधिक कर्मचारी तथा नियोक्ता इसका लाभ उठा सकेंगे। यह पहल लंबे समय से छूटे हुए कर्मचारियों को आधिकारिक तौर पर औपचारिक सुरक्षा में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे सामाजिक सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और आर्थिक समावेशन को भी बल मिलेगा। सरकार आशा करती है कि यह अभियान श्रम जगत में नए दौर की शुरुआत करेगा, जहां हर कर्मचारी का सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित हो सकेगा।

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