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UP Madarsa News: यूपी सरकार को हाई कोर्ट से झटका, 558 मदरसों की जांच पर लगाई रोक

UP Madarsa News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त 558 मदरसों के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर लखनऊ स्थित आर्थिक अपराध शाखा की तरफ से की जा रही जांच पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 नवंबर, 2025 निर्धारित की गई है

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Sep 23, 2025 पर 4:28 PM
UP Madarsa News: यूपी सरकार को हाई कोर्ट से झटका, 558 मदरसों की जांच पर लगाई रोक
UP Madarsa News: यूपी सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है

UP Madarsa News: उत्तर प्रदेश में सहायता प्राप्त मदरसों की जांच मामले में यूपी सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त 558 मदरसों के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर लखनऊ स्थित आर्थिक अपराध शाखा की तरफ से की जा रही जांच पर रोक लगा दी है। जस्टिस सरल श्रीवास्तव और जस्टिस अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 नवंबर, 2025 निर्धारित की गई है।

मोहम्मद तल्हा अंसारी नामक एक व्यक्ति द्वारा इन मदरसों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस पर आयोग ने आर्थिक अपराध शाखा के महानिदेशक को पत्र भेजकर जांच करने का निर्देश दिया था। आयोग के निर्देश और जांच की वैधता को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। इसमें आयोग द्वारा इस साल 28 फरवरी, 23 अप्रैल और 11 जून को पारित आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया गया।

इन आदेशों के तहत आरोपों की जांच करने और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा गया था। याचिका में 23 अप्रैल 2025 को जारी उस सरकारी आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया गया जिसमें आर्थिक अपराध शाखा को सभी 558 मदरसों की जांच करने के लिए अधिकृत किया गया था। खंडपीठ ने इन आदेशों पर अंतरिम रोक लगाते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया।

अदालत के समक्ष दलील दी गई कि मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के अंतर्गत आयोग के कार्यों का स्पष्ट उल्लेख है। साथ ही धारा 36(2) के अनुसार, मानवाधिकार उल्लंघन की तिथि से एक वर्ष बीतने के पश्चात आयोग उस मामले की जांच नहीं कर सकता। यह भी तर्क दिया गया कि धारा 12-ए के अंतर्गत आयोग स्वतः संज्ञान लेकर, पीड़ित की याचिका पर, पीड़ित की ओर से किसी अन्य व्यक्ति की याचिका पर अथवा अदालत के निर्देश पर ही जांच कर सकता है।

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