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EPF Vs EPS: EPF और EPS में क्या अंतर है? रिटायरमेंट से पहले जरूर जानें ये बातें

EPF Vs EPS: "कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) भारत सरकार की ऐसी महत्वपूर्ण बचत योजनाएँ हैं, जो कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि EPF और EPS में क्या अंतर हैं, ये कैसे काम करती हैं और आपकी वित्तीय योजना में इनका क्या महत्व है।"

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 02, 2025 पर 5:42 PM
EPF Vs EPS: EPF और EPS में क्या अंतर है? रिटायरमेंट से पहले जरूर जानें ये बातें

EPF और EPS दो प्रमुख सरकारी बचत योजनाएं हैं जो भारत के वेतन भोगी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। EPF भविष्य के लिए बचत का एक मजबूत मंच है, जबकि EPS पेंशन के रूप में सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर आय प्रदान करती है। इस लेख में हम इन दोनों योजनाओं के मुख्य अंतर, योगदान नियम, और इनके लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

EPF क्या है और किसके लिए है?

EPF (Employees' Provident Fund) सरकार द्वारा संचालित बचत योजना है जो वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए होती है, जो EPFO-कवर किए गए संगठनों में काम करते हैं। इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों अपनी वेतन का 12% (बेसिक + महंगाई भत्ता) जमा करते हैं। इस फंड में जमा राशि मिलकर एक लम्बी अवधि के बाद कर्मचारी को रिटायरमेंट या अन्य जरूरी हालात में वापस मिलती है। EPF पर मिलने वाली ब्याज दर लगभग 8.25% होती है और यह टैक्स-फ्री होती है।

EPS क्या है और EPF से कैसे अलग है?

EPS (Employees' Pension Scheme) एक पेंशन योजना है जो स्थायी पेंशन आय सुनिश्चित करने के लिए होती है। इसमें केवल नियोक्ता 8.33% की राशि जमा करता है, कर्मचारी का कोई योगदान नहीं होता। यह योजना केवल उन कर्मचारियों के लिए है जिनका EPF में कम से कम 10 साल सेवा काल हो। EPS पेंशन 58 वर्ष की आयु के बाद शुरू होती है और कर्मचारी के निधन के बाद पेंशनधारी के नामित व्यक्ति को भी पेंशन मिलती रहती है।

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