भारतीय सनातन संस्कृति में हर अमावस्या खास होती है, लेकिन आषाढ़ अमावस्या को विशेष रूप से आध्यात्मिक शुद्धि और पितृ तृप्ति का दिन माना गया है। इसे हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है, जो कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि पर आती है। ये दिन उन लोगों के लिए बेहद फलदायी माना गया है जो जीवन में नकारात्मकता, आर्थिक संकट या मानसिक तनाव से गुजर रहे होते हैं। ये सिर्फ व्रत-पूजन का दिन नहीं, बल्कि नए सिरे से जीवन को सकारात्मक दिशा देने का अवसर है। पूर्वजों की आत्मा को शांति देने वाले कर्म, शनि और कालसर्प दोष जैसी ग्रह बाधाओं से राहत दिलाने वाले उपाय और आत्मिक शक्ति बढ़ाने वाले छोटे-छोटे कर्म इस दिन को बेहद खास बनाते हैं।