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Ganesh Mandir: मोटी डूंगरी गणेश मंदिर जो है जयपुर का ऐतिहासिक मंदिर, जानिए इसके धार्मिक महत्व

Ganesh Mandir: मोटी डूंगरी गणेश मंदिर न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए बल्कि देशभर के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का इतिहास और इसकी सुंदर वास्तुकला इसे खास बनाती है।

Edited By: Shradha Tulsyanअपडेटेड Aug 31, 2025 पर 4:49 PM
Ganesh Mandir: मोटी डूंगरी गणेश मंदिर जो है जयपुर का ऐतिहासिक मंदिर, जानिए इसके धार्मिक महत्व

जयपुर, जिसे ‘पिंक सिटी’ भी कहा जाता है, अपनी ऐतिहासिक विरासत, भव्य किलों और मंदिरों के लिए मशहूर है। उन्हीं धार्मिक स्थलों में मोती डूंगरी गणेश मंदिर एक प्रमुख स्थान रखता है। यह मंदिर न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए बल्कि देशभर के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का इतिहास और इसकी सुंदर वास्तुकला इसे खास बनाती है।

मंदिर का इतिहास

मोती डूंगरी गणेश मंदिर का निर्माण 1761 में महाराजा मदो सिंह प्रथम के शासनकाल में हुआ था। इसे सेठ जय राम पालीवाल की देखरेख में बनवाया गया था। मंदिर का नाम पास ही स्थित मोती डूंगरी पैलेस और पहाड़ी पर रखा गया, जिसका अर्थ है 'मोती की पहाड़ी'। इसके साथ जुड़ी एक किवदंती है कि मेवाड़ के राजा अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति को बैलगाड़ी में ला रहे थे। उन्होंने संकल्प लिया कि जहां बैलगाड़ी पहली बार रुकेगी, वहीं मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। ऐसा ही हुआ और मंदिर मोती डूंगरी की तलहटी में बना। यहां स्थापित गणेश जी की मूर्ति लगभग 500 साल पुरानी मानी जाती है, जिसे पहले गुजरात, फिर उदयपुर, और उसके बाद जयपुर लाया गया था।

वास्तुकला की विशेषता

यह मंदिर अपनी अनूठी राजस्थानी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां के गर्भगृह की छत तीन गुम्बदों से सजाई गई है, जिसमें भारतीय, इस्लामी और पश्चिमी वास्तुशिल्प की झलक देखने को मिलती है। मंदिर में सफेद संगमरमर के पत्थरों पर सुंदर नक्काशी और जाली का काम किया गया है। भगवान गणेश की विशाल मूर्ति के साथ मूषक वाहन की बड़ी प्रतिमा भी यहाँ स्थापित है। मंदिर की दीवारों पर पौराणिक कथाओं का बारीक चित्रण है, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध करता है। उच्च स्थान पर स्थित मंदिर दूर से किले जैसा दिखाई देता है।

धार्मिक और सामाजिक महत्व

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