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Navratri 2025 Day 4: तृतीया तिथि बढ़ने से आज का दिन भी मां चंद्रघंटा को समर्पित, विनायक चतुर्थी का व्रत भी आज

Navratri 2025 Day 4: शारदीय नवरात्र का पावन पर्व शुरू हो चुका है। इस साल यह त्योहार कई दुर्लभ संयोग अपने साथ लाया है। पंचांग के अनुसार, इस बार नवरात्र में तृतीया तिथि बढ़ने से चौथे दिन भी मां चंद्रघंटा की पूजा होगी और इसके साथ विनायक चतुर्थी का व्रत भी किया जाएगा।

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 25, 2025 पर 6:30 AM
Navratri 2025 Day 4: तृतीया तिथि बढ़ने से आज का दिन भी मां चंद्रघंटा को समर्पित, विनायक चतुर्थी का व्रत भी आज
शारदीय नवरात्र में विनायक चतुर्थी के व्रत का विशेष महत्व माना जाता है।

Navratri 2025 Day 4: शारदीय नवरात्र का पावन पर्व शुरू हो चुका है। अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाला ये त्योहार अपने साथ कई दुर्लभ संयोग लेकर आया है। पंचांग के अनुसार, इस साल तृतीया तिथि बढ़ रही है। ऐसा संयोग 27 साल बाद बन रहा है। नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है। इसलिए आज के दिन भी देवी के इसी रूप की पूजा की जाएगा।

इसके साथ ही आज विनायक चतुर्थी का व्रत भी होगा। शारदीय नवरात्र में विनायक चतुर्थी के व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। जिस व्यक्ति पर गणेश जी की कृपा बनी रहती है, उसके जीवन में सुख-संपदा की कभी कमी नहीं रहती है। आज 25 सितंबर के दिन देवी पार्वती के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा के साथ गौरी पुत्र गणेश की भी पूजा की जाएगी।

माना जाता है कि देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह के बाद अपने माथे पर अर्धचंद्रमा सजाने लगीं। इसी वजह से उन्हें मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाने लगा। मां चंद्रघंटा देवी का शांत स्वरूप हैं। मां चंद्रघंटा के माथे की चंद्र घंटी जब बजती है तो भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। इनकी पूजा से भय और शत्रुओं का नाश होता है। पौराणिककथा के अनुसार दैत्यों और असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटों की टंकार से ही असुरों का नाश कर दिया था।

विनायक चतुर्थी व्रत का मुहूर्त और पूजा विधि

पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी आज, 25 सितंबर को सुबह 07:06 बजे शुरू होगी और 26 सितंबर को सुबह 09:33 बजे समाप्त होगी। विनायक चतुर्थी का व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा। इस मौके पर गणपति बप्पा की विधिवत पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

पूजा का मंत्र

ॐ गं गणपतये नमः

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