Sakat Chauth 2026: संतान की खुशहाली के लिए किया जाता है सकट चौथ का व्रत, जानें इसकी तिथि, महत्व और पूजा विधि

Sakat Chauth 2026: माता सकट चौथ का व्रत अपनी संतान की मुश्किलों को दूर करने के लिए करती हैं। इस व्रत में भगवान गणेश और संकटा माता की पूजा की जाती है। ये व्रत हर साल माग माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। आइए जानें इस व्रत की तारीख, महत्व और पूजा विधि

अपडेटेड Dec 06, 2025 पर 11:59 PM
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इस दिन भगवान गणेश और संकटा माता की पूजा की जाती है।

Sakat Chauth 2026: हिंदू धर्म में सकट चौथ के व्रत का बहुत महत्व है। ये व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और संकटा माता की पूजा की जाती है। माताएं ये व्रत संतान की कामना से और अपनी संतान को हर तरह की मुश्किलों से बचाने के लिए करती हैं। इस चौथ को साल की सबसे बड़ी चौथ भी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। सकट चौथ का अर्थ होता है संकटों को मिटाने वाला व्रत। माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और आपके पूरे परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। इस व्रत को करने से घर में हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और सुख समृद्धि बनी रहती है।

कब होगा सकट चौथ का व्रत

सकट चौथ की तिथि 6 जनवरी 2026 को 08:01 से शुरू होगी और ये 7 जनवरी 2026 को 06:52 तक रहेगी। इसलिए सकट चौथ का व्रत 6 जनवरी को किया जाएगा।

सकट चौथ का महत्व

सकट चौथ यानी संकटों को दूर करने वाली चतुर्थी। इस दिन व्रत करने से विघ्नहर्ता और संकटों को दूर करने वाले भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी दुख दूर करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने अपने माता-पिता की परिक्रमा की थी और अपनी बुद्धि का परिचय दिया था। इसी कारण इस व्रत को किया जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु और अपने वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं।

पूजा विधि


  • सकट चौथ के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  • फिर पूजा वाले स्थान को साफ करें उस जगह एक चौकी स्थापित करें।
  • उस चौकी को गंगाजल से पवित्र करें
  • उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र रखें।
  • इसके साथ ही गंगाजल से भरा कलश रखें।
  • पूजा संपन्न होने के बाद भगवान गणेश की आरती करें।
  • इसके बाद भगवान गणेश को भोग लगाये और सबको प्रसाद वितरित करके पूजा संपन्न करें।

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