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दशहरे पर सिर्फ रावण दहन नहीं, जलेबी भी है खास! जानें कब और कैसे शुरू हुई ये परंपरा

Why Jalebi Eaten on Dussehra: दशहरे पर रावण दहन और रामलीला तो सबको याद है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन की एक मीठी परंपरा भी है? जी हां, विजयदशमी पर जलेबी खाने की रस्म सदियों से चली आ रही है। क्यों जुड़ा है यह पर्व इस मिठाई से, इसकी कहानी जानकर आप हैरान रह जाएंगे

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 02, 2025 पर 2:55 PM
दशहरे पर सिर्फ रावण दहन नहीं, जलेबी भी है खास! जानें कब और कैसे शुरू हुई ये परंपरा
Why Jalebi Eaten on Dussehra: जामा मस्जिद के पास स्थित सुल्तान जी स्वीट्स की जलेबी कुछ अलग ही अंदाज में मिलती है।

जब भी दशहरे की बात होती है, तो रावण दहन और रामलीला की यादें सबसे पहले ज़हन में आती हैं। लेकिन इस पर्व से जुड़ी एक मीठी परंपरा भी है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। दशहरे का नाम आते ही कई घरों में जलेबी बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है। सुनने में भले ही यह साधारण लगे, लेकिन जलेबी और विजयदशमी का रिश्ता सदियों पुराना है। मान्यता है कि भगवान राम ने रावण पर विजय के बाद जश्न मनाने के लिए जलेबी जैसी मिठाई का स्वाद चखा था और तभी से इस दिन इसे शुभ माना जाने लगा।

धीरे-धीरे यह परंपरा लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बन गई और दशहरे की मिठास में जलेबी ने अपनी खास जगह बना ली। यही वजह है कि आज भी देश के कई हिस्सों में दशहरे की सुबह मीठी जलेबी से ही शुरू होती है।

क्यों खाते हैं दशहरे पर जलेबी और पान?

कहानी के अनुसार त्रेता युग में राम जी को शशकुली नामक मिठाई बेहद प्रिय थी, जिसे आज हम जलेबी कहते हैं। मान्यता है कि रावण वध के बाद उन्होंने यही मिठाई खाकर जीत का आनंद लिया। इसी कारण दशहरे पर जलेबी और पान का स्वाद लेना शुभ और मंगलकारी माना जाता है।

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