हिंदू शादी सिर्फ रस्मों का मेल नहीं होती। यह भावनाओं और मान्यताओं से जुड़ा एक पवित्र संस्कार है। हर रिवाज का अपना अर्थ होता है। हर कदम में शुभता छिपी होती है। विदाई से लेकर सिंदूर तक हर परंपरा का संदेश अलग होता है। इन्हीं रस्मों में एक खास रिवाज है—दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठना। ये बात हम बचपन से देखते आए हैं। शादी में पंडित भी बार-बार इसी बात पर जोर देते हैं। लोग मानते हैं कि यही परंपरा शादी को पूर्ण बनाती है। ये सिर्फ एक तरीका नहीं, बल्कि एक मान्यता है।
