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10,000 करोड़ की हवेली...इतने अमीर थे लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह, फिर भी कर्ज में डूबा सबकुछ

नवाब वाजिद अली शाह की शाही ठाठ-बाट और वैभव हमेशा के लिए नहीं टिक पाए। धीरे-धीरे उनकी ज़्यादातर संपत्ति अंग्रेजों ने जब्त कर ली। इसके साथ ही ब्रिटिश सरकार ने उन पर करीब 20 करोड़ रुपये (आज के हिसाब से) का कर्ज भी डाल दिया। भले ही उन्हें पेंशन मिलती रही, लेकिन बढ़ते कर्ज और अवध से होने वाली आमदनी में भारी कमी के कारण उनकी आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती गई

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 17, 2025 पर 8:23 PM
10,000 करोड़ की हवेली...इतने अमीर थे लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह, फिर भी कर्ज में डूबा सबकुछ
वाजिद अली शाह ने 1847 से 1856 तक, सिर्फ नौ साल तक शासन किया।

"क्या आप लखनऊ के नवाब हैं?" — आज यह सवाल मज़ाक या ताने के रूप में लिया जा सकता है। लेकिन इसके पीछे एक शानदार इतिहास छिपा है, जिसमें बेशुमार शाही ठाठ-बाठ, सांस्कृतिक भव्यता और विलासिता की असली झलक मिलती है। अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह का नाम आज भी अपार दौलत और शानदार लाइस्टाइल के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उनकी संपत्ति का अनुमान आज की कीमतों के हिसाब से हजारों करोड़ रुपये में लगाया जाता है।

नौ साल तक किया शासन

वाजिद अली शाह ने 1847 से 1856 तक, सिर्फ नौ साल तक शासन किया। लेकिन इस छोटी सी अवधि में भी उन्होंने एक ऐसी विरासत छोड़ी जो आज भी लखनऊ की पहचान है। उनकी विरासत केवल भव्य इमारतों और कला-संस्कृति के संरक्षण तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह कृषि, व्यापार और कर वसूली से जुड़ी एक मजबूत अर्थव्यवस्था पर भी टिकी हुई थी। हालांकि उनकी संपत्ति का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है, लेकिन इतिहासकारों और पुराने दस्तावेजों के अनुसार, उनके पास उस दौर में भी इतनी संपत्ति थी जो आज के हिसाब से बेहद चौंकाने वाली मानी जाती है।

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