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Smriti Mandhana: सांगली की गलियों से स्टेडियम तक, स्मृति मंधाना की शानदार उड़ान, जानिए पूरा सफर

Smriti Mandhana: स्मृति मंधाना की कहानी एक छोटी बच्ची के बड़े सपने से शुरू होती है। भाई को क्रिकेट खेलते देख उनके मन में भी क्रिकेट का बीज बोया। सांगली की गलियों से निकली यह लड़की 9 साल में अंडर-15 तक पहुँची और फिर इंटरनेशनल क्रिकेट की शान बनी। मेहनत, हिम्मत और रिकॉर्ड्स ने उन्हें भारत की चैंपियन स्टार बनाया

Edited By: Anchal Jhaअपडेटेड Nov 27, 2025 पर 8:20 AM
Smriti Mandhana: सांगली की गलियों से स्टेडियम तक, स्मृति मंधाना की शानदार उड़ान, जानिए पूरा सफर
Smriti Mandhana: सोलह साल की उम्र में स्मृति ने घरेलू मैच में नाबाद 224 रन से तहलका मचा दिया।

एक छोटी सी लड़की… जो रोज अपने भाई को क्रिकेट किटबैग लेकर प्रैक्टिस जाते देखती थी। भाई रन बनाकर आता तो घर में उसकी खूब तारीफ होती। अखबार में जब भाई की फोटो छपती, तो वो कटिंग संभालकर फाइल में चिपका देती। एक दिन उसने वही फोटो देखते हुए सोचा— "क्या कभी मेरा भी नाम छपेगा?" बस उसी पल उसने तय कर लिया कि क्रिकेट ही उसका रास्ता है। यही छोटी लड़की आगे चलकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उपकप्तान बनी स्मृति मंधाना। 2 नवंबर को हुए ऐतिहासिक पल में उनके बल्ले ने 1973 से चला आ रहा भारत का इंतजार खत्म किया और महिला विश्व कप 2025 जिताने में बड़ी भूमिका निभाई।

पढ़ाई और शुरुआती क्रिकेट

स्मृति का जन्म जुलाई 1996 में मुंबई में हुआ, लेकिन उनका बचपन सांगली के माधवनगर में बीता। पढ़ाई लोकल स्कूलों और चितमणराव कॉलेज ऑफ कॉमर्स से पूरी हुई। घर में क्रिकेट का माहौल पहले से था, पिता और भाई दोनों स्थानीय क्रिकेटर। भाई को खेलते देखते-देखते उनके मन में भी क्रिकेट की भावना जागी और धीरे-धीरे ये जुनून बन गया।

छोटी उम्र की बड़ी उड़ान

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