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विभाजन के बाद पहली बार, पाकिस्तान की इस यूनिवर्सिटी में शुरू हुई संस्कृत की पढ़ाई, गीता और महाभारत तक पहुंचेगा ये सफर

Pakistan: विभाजन के बाद पहली बार, पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय ने औपचारिक रूप से संस्कृत की पढ़ाई को फिर से शुरू किया है, जो एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षणिक उपलब्धि है। LUMS ने पहले से प्रस्तावित संस्कृत के 3 महीने के वीकेंड वर्कशॉप को अब चार क्रेडिट वाले पूरे यूनिवर्सिटी कोर्स में बदल दिया है।

Translated By: Ashwani Kumar Srivastavaअपडेटेड Dec 13, 2025 पर 12:04 PM
विभाजन के बाद पहली बार, पाकिस्तान की इस यूनिवर्सिटी में शुरू हुई संस्कृत की पढ़ाई, गीता और महाभारत तक पहुंचेगा ये सफर
विभाजन के बाद पहली बार, पाकिस्तान की इस यूनिवर्सिटी में शुरू हुई संस्कृत की पढ़ाई, गीता और महाभारत तक पहुंचेगा ये सफर

Pakistan: 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद पहली बार, पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय ने औपचारिक रूप से संस्कृत की पढ़ाई को फिर से शुरू किया है, जो एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षणिक उपलब्धि है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने छात्रों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों की प्रबल रुचि को देखते हुए, पहले से प्रस्तावित संस्कृत के तीन महीने के वीकेंड वर्कशॉप को अब चार क्रेडिट वाले पूरे यूनिवर्सिटी कोर्स में बदल दिया है।

इस पहल का नेतृत्व LUMS के गुरमानी सेंटर के डॉ. अली उस्मान कासमी और फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शाहिद रशीद कर रहे हैं। उन्होंने सांस्कृतिक सेतु के रूप में शास्त्रीय भाषाओं के महत्व पर जोर देते हुए संस्कृत को इस क्षेत्र की साझा विरासत और प्राचीन दार्शनिक, साहित्यिक और ऐतिहासिक ग्रंथों तक पहुंचने की अहम कुंजी बताया है।

डॉ. शाहिद राशिद की पहल

इस पहल के पीछे सबसे बड़ा नाम है डॉ. शाहिद राशिद, जो फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। डॉ. राशिद कई वर्षों से संस्कृत भाषा का अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले अरबी और फारसी सीखी, इसके बाद उन्होंने संस्कृत पढ़ना शुरू किया। उनका कहना है कि शास्त्रीय भाषाओं में मानवता के लिए बहुत गहरा ज्ञान छिपा है। संस्कृत व्याकरण समझने में उन्हें करीब एक साल का समय लगा और वह आज भी इसका अध्ययन कर रहे हैं।

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