झारखंड में खेती-किसानी आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अधिकांश किसानों की मुख्य आजीविका का आधार बनी हुई है। लेकिन अधिकांश किसान अपनी फसल योजना बिना किसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण और रणनीति के शुरू कर देते हैं, जिससे उन्हें अक्सर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। बदलते मौसम, बारिश की अनियमितता, मिट्टी की गुणवत्ता, और बाजार में कीमतों की अस्थिरता किसानों के लिए बड़ी चुनौतियां बन जाती हैं। इसके अलावा, सही फसल का चयन न करना या लागत और लाभ का संतुलन न देखना भी खेती को घाटे का सौदा बना देता है।
