लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के अंदर सीट बंटवारे को लेकर अपनी नाराजगी की अटकलों को पूरी तरह खारिज कर दिया। चिराग ने कहा कि पार्टी को सम्मानजनक संख्या में सीटें मिली हैं और जिन सीटों की उन्होंने मांग की थी, वे सभी उनकी पसंद की ही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि पार्टी को 29 सीटें मिलेंगी - यह वही संख्या है, जितनी उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान को उनके सबसे सफल चुनाव में मिली थी।
'29 सीटों की उम्मीद नहीं थी...'
न्यूज18 इंडिया से खास बातचीत में चिराग पासवान ने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि पार्टी को 29 सीटें मिलेंगी, जो उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान के सबसे सफल चुनावी प्रदर्शन के बराबर हैं। उन्होंने कहा कि यह समझौता भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के भीतर पूरी सहमति और सम्मान के साथ हुआ है। सीट बंटवारे पर बोलते हुए चिराग ने एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच का फर्क भी बताया। उन्होंने कहा, "एनडीए में सभी मुद्दे समय पर सुलझा लिए गए, जबकि महागठबंधन की हालत यह है कि वे अभी तक सीटों की संख्या भी तय नहीं कर पाए हैं। इससे साफ पता चलता है कि कौन चुनाव के लिए तैयार है और कौन नहीं।"
सीट बंटवारे को लेकर हुई काफी बैठकें
चिराग पासवान ने किसी भी तरह के मतभेद या नाराजगी की अफवाहों को पूरी तरह खारिज किया और कहा कि इस बार की सीट बंटवारे की बातचीत बेहद सहज और सकारात्मक रही। उन्होंने बताया, "लोकसभा चुनावों के समय 15-16 दौर की बैठकें हुई थीं, लेकिन इस बार सिर्फ़ 5-6 दौर में ही सब कुछ तय हो गया। किसी को कोई नाराजगी नहीं थी।" चिराग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद करते हुए कहा, "मैं अपने प्रधानमंत्री से बहुत सम्मान करता हूं। गठबंधन की राजनीति में मैंने ऐसा कभी नहीं देखा कि सिर्फ एक सांसद वाली पार्टी को पांच सीटें दी जाएं। आज, बिना एक भी विधायक के, हम 29 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं — यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। इसके बाद किसी तरह की असंतुष्टि की कोई वजह नहीं बचती।"
लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने उन खबरों को खारिज किया, जिनमें कहा जा रहा था कि पार्टी को मिली सीटों की संख्या को लेकर एनडीए सहयोगियों में असंतोष है। उन्होंने साफ कहा कि गठबंधन के सभी दल पूरी तरह एकजुट हैं और एक साथ मिलकर आगे बढ़ रहे हैं। चिराग ने कहा, "मैं कभी भी उस विवाद या तूफान का हिस्सा नहीं था। भाजपा ही बातचीत संभालने वाली मुख्य पार्टी थी।" उन्होंने आगे कहा, "मैं जीतन राम मांझी जैसे वरिष्ठ नेताओं का हमेशा सम्मान करता आया हूं, जिन्होंने मेरे पिता के साथ काम किया था। मैंने कभी किसी वरिष्ठ नेता को कठोर जवाब नहीं दिया — यही बात उपेंद्र कुशवाहा के लिए भी लागू होती है।"
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