जब बिहार ने 2016 में पूरे राज्य में शराबबंदी लागू की थी, तो नैतिक सुधार का वादा भी किया गया था। अब नौ साल बाद, उस शराबबंदी ने रातों की नींद उड़ा रखी है, लेकिन शराबियों की नहीं, बल्कि राज्य की सीमा की सुरक्षा में लगी एजेंसियों की। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश एक्साइज विभाग को एक चुनौती का सामना करना पड़ रहा- यह है शराब की तस्करी और अंतरराज्यीय शराब सिंडिकेट। चुनाव के समय बिहार तक अवैध शराब पहुंचाने वाले गिरोह ज्यादा सक्रिय हो गए, जिससे बिहार-यूपी के बॉर्डर इलाकों में शराब की तस्करी बढ़ गई।
