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तेज प्रताप तुरुप का इक्का या फिर जोकर! क्या बिगाड़ सकते हैं अपने बाप-भाई का खेल

तेज प्रताप की मां राबड़ी देवी ने उन्हें जीत का आशीर्वाद तो दिया है लेकिन क्या हार के बाद घर वापसी होगी। तेज प्रताप घर के बड़े बेटे हैं इसलिए घर से बेदखल करने के बाद भी मोह कम नहीं हुआ है। अब चुनाव के नतीजे आने के बाद पता चलेगा कि पार्टी बड़ी या परिवार?

Pratima Sharmaअपडेटेड Nov 14, 2025 पर 11:29 AM
तेज प्रताप तुरुप का इक्का या फिर जोकर! क्या बिगाड़ सकते हैं अपने बाप-भाई का खेल
महुआ में पलट सकता है गेम, हारने के बाद क्या करेंगे तेज प्रताप

घर का भेदी लंका ढाहे। इस बार बिहार चुनाव में भी यही हो सकता है। लालू यादव के बड़े सुपुत्र तेज प्रताप ने चुनाव में अपने ही बाप-भाई को सबक सिखाने का फैसला किया है। अपनी नई पार्टी बनाई है। पार्टी का नाम जनशक्ति जनता दल है। तेज प्रताप महुआ से चुनाव लड़ रहे हैं। और अपनी जीत का दावा भी कर रहे हैं। वैसे ये अलग बात है कि चुनावी रैलियों में भी वो अपने सहयोगियों से जनता के मुद्दे पूछ-पूछकर ही भाषण देते थे। महुआ की जनता ने उनके वादों और भाषणों पर भरोसा किया है या नहीं यह तो 14 नवंबर को पता चलेगा। लेकिन इन सबके बीच तेज प्रताप खुलेआम ऐलान कर रहे हैं कि उनके सामने कई हजार विकल्प खुले हैं। अब इन कई हजार विकल्प में क्या कोई विकल्प NDA में शामिल होने का तो नहीं है!क्या पहली बार RJD को अपने बेटे की वजह से नुकसान होगा?

वैसे इस बार का चुनाव कई मामलों अलग है। पहली बार तेज प्रताप RJD के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। पहली बार ही जब नीतीश कुमार के सीएम बनने पर सवाल उठाया जा रहा है। पहली बार राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर अपनी पार्टी को जिताने का प्रयास कर रहे हैं। बिहार में पहली बार 66.91 फीसदी वोटिंग हुई है जो अपने आप में रिकॉर्ड है। महिला मतदाताओं ने भी अपना अलग रिकॉर्ड बनाया है। इस बार 71.6 फीसदी महिलाओं ने वोट किया जो इससे पहले कभी नहीं देखा गया था।

इस लैंडस्लाइड वोटिंग से ऐसा लग रहा है कि बिहार में कुछ बदलने वाला है। लेकिन इस बदलाव में तेज प्रताप विभीषण तो नहीं बन जाएंगे। उनका दावा है कि उनकी पार्टी कम से कम 10-15 सीट जीतेगी।

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