Bihar Assembly Elections : बिहार की राजधानी पटना में छात्रों के बाद अब किसान सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं। सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर लिए हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे। बक्सर के सांसद और किसान नेता सुधाकर सिंह के नेतृत्व में किसान बुद्धा पार्क से मार्च करते हुए मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़े, लेकिन पुलिस द्वारा डाकबंगला चौराहे पर बैरिकेडिंग कर उन्हें कर रोक दिया दिया।
हजारों किसानों का प्रदर्शन
मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, इसके साथ ही हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए वाटर कैनन की गाड़ियां भी मंगवाई गईं है। इस दौरान पटना जंक्शन से डाकबंगला जाने और आने वाले दोनों ओर के रास्ते को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया गया है, जिससे सड़क जाम की समस्या बनी हुई है।
किसान मोर्चा का आरोप है कि सरकार उनकी जमीन का जबरन अधिग्रहण कर रही है, और उन्हें मुआवजा भी बहुत कम दिया जा रहा है। इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष राम प्रवेश यादव का कहना है कि, “किसानों को जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजा 2014 की दर पर ही दिया जा रहा है, जबकि आज 2025 में बाजार दर कई गुना बढ़ चुकी है। यह किसानों के साथ सीधा अन्याय है।”
उन्होंने कहा कि सरकार को अधिग्रहण की प्रक्रिया में आज की वास्तविक बाजार दर के अनुसार मुआवजा देना चाहिए। किसानों का कहना है कि जब तक उन्हें उनका हक और उचित मुआवजा नहीं मिलेगा, यह आंदोलन जारी रहेगा।
जानें क्यों हो रहा है विरोध
दरअसल, किसानों का सबसे बड़ा विरोध केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना को लेकर है। इस परियोजना के तहत वाराणसी से रांची होते हुए कोलकाता तक हाई क्वालिटी सड़क बनाई जा रही है। बक्सर जिले में भी इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन ली जा रही है। किसानों का आरोप है कि हजारों लोगों की जमीन ली जा रही है, लेकिन इसके बदले उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा।
सिर्फ इतना ही नहीं, किसान बक्सर के चौसा में बन रहे पावर प्लांट का भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट विकास के नाम पर उनकी आजीविका पर संकट बन गए हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में यह आंदोलन चुनावी मुद्दा भी बनता जा रहा है। विपक्ष लगातार नीतीश सरकार और केंद्र पर हमला कर रहा है। सुधाकर सिंह जैसे किसान नेताओं का कहना है कि सरकार सिर्फ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही है, जबकि किसानों और गरीबों को कुचला जा रहा है। वहीं, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर आंदोलन लंबा खिंचता है तो यह चुनाव में बड़े मुद्दे के रूप में सामने आ सकता है।
आपको बता दें कि राजधानी पटना में छात्रों ने पहले भी आंदोलन किए हैं। हाल ही में राजधानी में STET और शिक्षक भर्ती को लेकर छात्रों द्वारा सिर्फ अगस्त महीने में ही 2 बार जोरदार प्रदर्शन किया गया था। उस समय भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की स्थिति बनी थी, और लाठीचार्ज की घटना भी सामने आया था। जिसमें कई छात्र घायल भी हो गए थे। अब किसानों का यह आंदोलन भी पटना की सड़कों पर सरकार के लिए चुनौती बन गया है।
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