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Bihar Result 2025: संगठन की ताकत ने दिलाई बिहार में ऐतिहासिक जीत! जमीन पर अरसे से जारी थी जंग

Bihar Result 2025: बीजेपी आलाकमान जानता था कि बिहार चुनाव में 20 सालों की एंटी इंकंबेंसी तो है ही। लेकिन तेजस्वी यादव जिन मुद्दों पर हमले कर रहे हैं वो वोटरों पर असर डाल सकते हैं। इसलिए पिछले 2 सालों से संगठन पर जोर लगाते हुए बूथ मैनेजमेंट और पंचायत के स्तर तक कार्यकर्ताों को एकजुट करने का काम शुरु हो गया था

Amitabh Sinhaअपडेटेड Nov 20, 2025 पर 7:25 PM
Bihar Result 2025: संगठन की ताकत ने दिलाई बिहार में ऐतिहासिक जीत! जमीन पर अरसे से जारी थी जंग
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 20 नवंबर को 10वीं बार सीएम पद की शपथ ली। इस दौरान पीएम मोदी भी मौजूद थे

Bihar Election Result 2025: चुनावों के चंद साल पहले ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बिहार पर विशेष ध्यान देना शुरु कर दिया था। बीजेपी आलाकमान जानता था कि 20 सालों की एंटी इंकंबेंसी तो है ही। लेकिन आरजेडी के तेजस्वी यादव जिन मुद्दों पर हमले कर रहे हैं वो वोटरों पर असर डाल सकते हैं। इसलिए पिछले 2 सालों से संगठन पर जोर लगाते हुए बूथ मैनेजमेंट और पंचायत के स्तर तक कार्यकर्ताों को एकजुट करने का काम शुरु हो गया था।

हर स्थान पर प्रभारी लगाए गए थे। हर बूथ पर पांच कार्यकर्ता और मंडल स्तर पर 25 की टोलियां बनायीं गयीं थी। इन टीमों ने बूथ को संगठित किया। अमित शाह ने संगठन को मजबूत करने का जिम्मा अपने सिर ले लिया था। उन्होंने संगठनात्मक बैठके लेनी शुरु कर दी थीं। शाह ने राज्य के प्रभारियो और शीर्ष पदाधिकारियों को कई टास्क दिए। राज्य, जिला, पंचायत और बूथ स्तर के टास्क बता कर उन्हें जमीन पर उतारने को कहा।

अमित शाह का सबसे महत्वपूर्ण टास्क जो कार्यकर्ताओं को मिला वो था कि हर कार्यकर्ता अपने परिवार के साथ कम से कम तीन परिवारों के वोट कराए। साथ ही मतदान के दिन ये काम सुबह 9 बजे तक पूरा कर ले। यही कारण है कि इस बार वोटिंग प्रतिशत सुबह से ही काफी ज्यादा रहा। चुनावों से महीनों पहले हर जिला और बूथ स्तर तक एनडीए के सभी दलों के कार्यकर्ताओं की बैठकें हुईं।

इसके पहले राज्य के प्रभारी विनोद तावडे और सह प्रभारी सांसद दीपक प्रकाश ने जब इन टीमों को जोश में काम पूरा करते देखा तो उन्हें भरोसा हो गया कि जमीन पर टीम का काम पक्का है। इसलिए जीत में मुश्किल नहीं आएगी। पिछले कुछ चुनावों का अनुभव था कि सहयोगी दलों के कार्यकर्ता एक दूसरे को जमीनी स्तर पर भरोसा नहीं कर रहे थे। सहयोग भी आसानी से नहीं हो रहा था।

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