आज के डिजिटल दुनिया के बच्चों के लिए होमवर्क से लेकर मनोरंजन तक सबकुछ मोबाइल पर आ गया है। हम चाहे कितना कहें कि स्क्रीन टाइम कम होना चाहिए, लेकिन बहुत छोटी उम्र के बच्चे ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं। इससे बच्चों की आंखों पर डिजिटल दबाव पड़ रहा है, जिससे मायोपिया के मामलों में तेज इजाफा देखने को मिल रहा है। दुनिया की 40-50% आबादी 2050 तक मायोपिया से ग्रस्त हो सकती है, जिसका एक प्रमुख कारण स्क्रीन का बढ़ता इस्तेमाल है। बच्चों के लिए यह स्थिति वयस्कों से भी बदतर है, क्योंकि उनकी आंखें अभी बढ़ने की अवस्था में हैं और लंबे समय तक स्क्रीन का सामना करने के लिए पूरी तरह से परिपक्व नहीं हैं।