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इस संतोष के साथ कोर्ट रूम छोड़ रहा हूं कि देश के लिए जो कर सकता था किया: जस्टिस बीआर गवई

भावुक दिख रहे प्रधान न्यायाधीश ने विधि अधिकारियों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं और युवा वकीलों से खचाखच भरे अदालत कक्ष में कहा,“जब मैं इस अदालत कक्ष से आखिरी बार निकल रहा हूं तो पूरी संतुष्टि के साथ निकल रहा हूं, इस संतोष के साथ कि मैंने इस देश के लिए जो कुछ भी कर सकता था, वह किया है। …धन्यवाद। बहुत-बहुत धन्यवाद

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 21, 2025 पर 4:28 PM
इस संतोष के साथ कोर्ट रूम छोड़ रहा हूं कि देश के लिए जो कर सकता था किया: जस्टिस बीआर गवई
इस संतोष के साथ कोर्ट रूम छोड़ रहा हूं कि देश के लिए जो कर सकता था किया: जस्टिस बीआर गवई

निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने शुक्रवार को कहा कि वह वकील तथा न्यायाधीश के रूप में करीब चार दशक की अपनी यात्रा के समापन पर संतोष और संतृप्ति की भावना के साथ और ‘न्याय के विद्यार्थी’ के रूप में न्यायालय छोड़ रहे हैं।

न्यायमूर्ति गवई ने अपने विदाई समारोह के दौरान एक रस्मी पीठ के समक्ष कहा, ‘‘आप सभी को सुनने के बाद, और खासकर अटॉर्नी जनरल (आर वेंकटरमणि) और कपिल सिब्बल की कविताओं और आप सभी की गर्मजोशी भरी भावनाओं को जानने के बाद, मैं भावुक हो रहा हूं।”

इस पीठ में प्रधान न्यायाधीश नियुक्त हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन भी थे।

भावुक दिख रहे प्रधान न्यायाधीश ने विधि अधिकारियों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं और युवा वकीलों से खचाखच भरे अदालत कक्ष में कहा,“जब मैं इस अदालत कक्ष से आखिरी बार निकल रहा हूं तो पूरी संतुष्टि के साथ निकल रहा हूं, इस संतोष के साथ कि मैंने इस देश के लिए जो कुछ भी कर सकता था, वह किया है। …धन्यवाद। बहुत-बहुत धन्यवाद।’’

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