उत्तर भारत इस समय भारी बारिश और तबाही मचाने वाले मानसून से जूझ रहा है। पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन की वजह से अब तक 500 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है। नदियां उफान पर हैं, कई गांव पानी में डूब गए हैं और पहाड़ी इलाकों में रास्ते मलबे से बंद हो गए हैं। हालात को संभालने के लिए एनडीआरएफ, सेना, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही प्रभावित राज्यों का दौरा करेंगे और हालात की समीक्षा करेंगे। फिलहाल बचाव अभियान तेजी से चल रहे हैं ताकि फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके और जरूरी मदद पहुंची जा सके।
भीषण बाढ़ की चपेट में पंजाब
पंजाब इस समय 1988 के बाद की सबसे गंभीर बाढ़ की मार झेल रहा है। अधिकारियों के मुताबिक अब तक राज्य में 46 लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ ने खेती को भी भारी नुकसान पहुंचाया है और करीब 1.75 लाख हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं। राज्य के 23 ज़िलों के लगभग 1,996 गांव पानी की चपेट में आ गए हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक 3.87 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। 1 अगस्त से 5 सितंबर के बीच अकेले 14 जिलों में 43 मौतों की पुष्टि हुई है। बाढ़ के हालात ने लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है और प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में लगातार जुटा हुआ है।
इसी बीच दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि वह पंजाब में राहत और बचाव कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपये की मदद देगी। दूसरी ओर, पंजाब सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि राज्य को इस आपदा से उबरने के लिए एक खास वित्तीय पैकेज दिया जाए।
हिमाचल में भी भारी तबाही
हिमाचल प्रदेश उन राज्यों में है जो इस बार की बारिश से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। 20 जून से अब तक यहां 95 बार अचानक बाढ़, 45 बार बादल फटने और 132 बड़े लैंडस्लाइड की घटनाएं दर्ज की गई हैं। अधिकारियों के अनुसार, बारिश से जुड़ी घटनाओं और सड़क हादसों में अब तक 355 लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा 49 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। हालत गंभीर बने हुए हैं और प्रशासन लगातार राहत व बचाव कार्यों में जुटा है।
करीब 4000 करोड़ का नुकसान
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश को अब तक करीब 3,787 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य में 1,217 सड़कें बंद पड़ी हैं, जिनमें मंडी, शिमला, कुल्लू और चंबा ज़िलों की कई अहम सड़कें भी शामिल हैं। एनएच-3 (मंडी-धर्मपुर), एनएच-5 (पुराना हिंदुस्तान-तिब्बत रोड), एनएच-305 (औट-सैंज) और एनएच-505 (खाब-ग्राम्फू) जैसे कई राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए पूरी तरह बंद हो गए हैं। वहीं, शिमला-कालका रेलमार्ग पर कई जगह भूस्खलन होने की वजह से ट्रेन सेवाएँ भी रोक दी गई हैं।
दिल्ली में रिलीफ कैंप में रहने को मजबूर लोग
दिल्ली में बाढ़ की वजह से अब तक करीब 18,000 लोगों को निचले इलाकों से सुरक्षित निकाला गया है। इन्हें 35 राहत शिविरों में ठहराया गया है, जबकि यमुना नदी शनिवार को भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी दिल्ली के सात शिविरों में लगभग 7,200 लोग रह रहे हैं। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 13 शिविरों में 5,200 लोग ठहरे हुए हैं। वहीं दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के शिविरों में करीब 4,200 लोग हैं। इसके अलावा उत्तरी दिल्ली और शाहदरा जिलों में भी अतिरिक्त राहत शिविर चलाए जा रहे हैं।
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