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कर्नाटक से मध्य प्रदेश तक, कांग्रेस के लिए तकलीफदेह रहा है 'नंबर 2' संकट, जानिए सत्ता संघर्ष कैसे बन गया पार्टी के लिए सबसे बड़ा खतरा

Karnataka Power Tussle: 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच कथित तौर पर तय किया गया 50:50 पावर-शेयरिंग फॉर्मूला एक बार फिर पार्टी को परेशान कर रहा है। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने कभी भी आधिकारिक तौर पर ऐसे किसी समझौते को स्वीकार नहीं किया

Abhishek Guptaअपडेटेड Nov 27, 2025 पर 3:12 PM
कर्नाटक से मध्य प्रदेश तक, कांग्रेस के लिए तकलीफदेह रहा है 'नंबर 2' संकट, जानिए सत्ता संघर्ष कैसे बन गया पार्टी के लिए सबसे बड़ा खतरा
जिन राज्यों में कांग्रेस के अपने मुख्यमंत्री रहे हैं, वहां शीर्ष नेताओं के बीच सत्ता के संघर्ष ने पार्टी को हमेशा संकट में डाला है

Karnataka Crisis: गठबंधन में सहयोगियों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर कलह होना एक बात है, लेकिन जब अकेले दम पर सत्ता में काबिज पार्टी के भीतर ही नेतृत्व संकट पैदा हो जाए, तो बात कुछ हजम नहीं होती है। कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक बार-बार दोहराया जाने वाला पैटर्न सा बन गया है। जिन राज्यों में कांग्रेस के अपने मुख्यमंत्री रहे हैं, वहां पार्टी को हमेशा शीर्ष नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष को संतुलित करना पड़ा है, जो अनिवार्य रूप से सरकार की स्थिरता को खतरे में डालता रहा है। इस कड़ी में नया नाम कर्नाटक का जुड़ गया है, जहां सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार टसल देखने को मिल रहा है।

कर्नाटक में 50:50 फॉर्मूले पर चल रही है बहस

2023 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच कथित तौर पर तय किया गया 50:50 पावर-शेयरिंग फॉर्मूला एक बार फिर पार्टी को परेशान कर रहा है। इस फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार 2.5 साल बाद मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने कभी भी आधिकारिक तौर पर ऐसे किसी समझौते को स्वीकार नहीं किया।

इन दोनों नेताओं के बीच चल रहे इस गतिरोध के चरम पर पहुंचने के बाद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्थिति को स्वीकार करते हुए कहा कि इस मुद्दे को हल करने के लिए 'दवा' दी जाएगी। बताया ये भी जा रहा है कि कांग्रेस 1 दिसंबर तक नेतृत्व परिवर्तन पर कोई फैसला कर सकती है।

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