सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला को फटकार लगाई, जिसने अपनी सिर्फ एक साल पुरानी शादी खत्म करने के लिए 5 करोड़ रुपये गुजारा भत्ता मांगा था। कोर्ट ने इस मांग को बेहद ज्यादा बताते हुए चेतावनी दी कि ऐसी मांगों पर “कड़ा आदेश” दिया जा सकता है। जस्टिस जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली पीठ ने दोनों पक्षों को निर्देश दिया कि वे 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र में दोबारा पेश हों।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि अगर पत्नी इसी तरह की जिद पर अड़ी रही, तो कोर्ट को ऐसे आदेश देने पड़ सकते हैं जो उसके लिए ठीक नहीं होंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि महिला वाजिब मांग रखेगी और केस को खत्म करने में मदद करेगी। पीठ ने यह भी कहा कि यह शादी मुश्किल से एक साल ही चली है, ऐसे में पति को सुलह करने की सलाह नहीं दी जा सकती। जस्टिस पारदीवाला ने साफ शब्दों में कहा – “अगर आप उसे वापस बुलाएंगे तो गलती करेंगे। आप उसे संभाल नहीं पाएंगे, क्योंकि उसके सपने बहुत बड़े हैं।”
पति की पेशकश ठुकराई, फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला
अदालत में पेश दस्तावेजों के मुताबिक, पति जो अमेजन में इंजीनियर हैं, ने पत्नी को 35 से 40 लाख रुपये अंतिम समझौते के रूप में देने की पेशकश की थी। लेकिन पत्नी ने इसे मानने से इंकार कर दिया। दोनों पक्षों के वकीलों ने माना कि पहले भी मध्यस्थता की कोशिशें नाकाम रही थीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सलाह दी कि वे विवाद सुलझाने के लिए ज्यादा व्यावहारिक रास्ता अपनाएं। अब यह मामला फिर से अदालत में तभी सुना जाएगा जब मध्यस्थता केंद्र अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप देगा।
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