Get App

Rangoli Designs: जानिए किस रंगोली डिजाइन का क्या है मतलब और यह दीवाली को कैसे बनाती है खास?

Rangoli Designs: रंगोली दीवाली पर शुद्धता और प्रेम का प्रतीक मानी जाती है, इसे देवी लक्ष्मी का स्वागत करने और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए सजाया जाता है।

Edited By: Shradha Tulsyanअपडेटेड Sep 24, 2025 पर 3:34 PM
Rangoli Designs: जानिए किस रंगोली डिजाइन का क्या है मतलब और यह दीवाली को कैसे बनाती है खास?

रंगोली भारतीय संस्कृति की वो अनुपम छटा है, जो न सिर्फ घरों की सुंदरता बढ़ाती है, बल्कि शुभता, प्रेम और सकारात्मकता का भी प्रतीक मानी जाती है। जैसे-जैसे दीवाली नजदीक आती है, हर घर के दरवाजे पर रंगोली सजाने की तैयारी शुरू हो जाती है। आज के दौर में भले ही रंगोली सिर्फ त्योहार या खास अवसरों तक सीमित हो गई हो, मगर प्राचीन काल में इसे रोज घर के बाहर बनाना एक प्रथा थी।

त्योहारों पर रंगोली बनाने का चलन इतना लोकप्रिय है कि आज इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। रंगोली के रंग-बिरंगे डिजाइन, फूल, पत्तियां और चावल के आटे की सादगी, घर के प्रत्येक सदस्य को उल्लास से भर देती है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, दीवाली के शुभ दिन रंगोली बनाना देवी लक्ष्मी को आमंत्रित करने का सबसे सुंदर तरीका माना जाता है। माना जाता है कि घर की महिलाएं जब अपने हाथों से रंगोली बनाती हैं, तो वह गृह लक्ष्मी की तरह पूरे परिवार पर बरकत का आशीर्वाद बरसाती हैं।

भारत के विभिन्न हिस्सों में रंगोली के कई नाम हैं। उत्तर भारत में इसे 'चौक पूरना' कहा जाता है जहां गेहूं के आटे और हल्दी से सुंदर रूपांकन रचे जाते हैं। महाराष्ट्र में इसे रंगोली ही कहा जाता है और यहां रंगीन पाउडर्स का भरपूर इस्तेमाल होता है। तमिलनाडु में 'कोल्लम', आंध्र प्रदेश में 'मुग्गु', केरल में 'पुकल्म', हर क्षेत्र अपनी परंपरा और धरोहर से जुड़ा रंगोली का अलग नाम और तरीका अपनाए हुए है।

इतिहास की बात करें तो रंगोली की शुरुआत को लेकर कई कहानियां और कथाएं चर्चित हैं, मगर यह तय है कि भारतीय संस्कृति के मूल में रंगोली का स्थान बहुत अहम है। रंगोली को सिर्फ सजावट या कला न मानकर इसे घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने और नकारात्मकता को दूर भगाने का माध्यम समझा गया है। घर की सूनी चौखट को जीवन से भर देने वाली रंगोली, हर उत्सव को और भी रंगीन बना देती है।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें