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सिंघाड़ा और कुट्टू के आटे में क्या होता है फर्क? व्रत में जानें किसका करें इस्तेमाल

व्रत के दिनों में खाने के विकल्प सीमित हो जाते हैं, लेकिन स्वाद और पोषण बनाए रखना जरूरी है। ऐसे समय में सिंघाड़ा आटा और कुट्टू आटा सबसे लोकप्रिय विकल्प बन जाते हैं। दोनों ग्लूटेन-फ्री हैं और ऊर्जा देते हैं, लेकिन इनके स्रोत, पोषण और शरीर पर असर अलग-अलग होता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 27, 2025 पर 3:51 PM
सिंघाड़ा और कुट्टू के आटे में क्या होता है फर्क? व्रत में जानें किसका करें इस्तेमाल
कुट्टू का आटा पेट लंबे समय तक भरा रखता है

व्रत (उपवास) के दिनों में खाने की चीजें सीमित हो जाती हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि स्वाद या पोषण की कमी हो। ऐसे समय में पारंपरिक विकल्पों में सिंघाड़ा आटा और कुट्टू आटा सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। दोनों ही आटे ग्लूटेन-फ्री हैं और शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं, इसलिए व्रत के दौरान कमजोरी नहीं होने देते। सिंघाड़ा जल में उगने वाला फल होता है, और इसका आटा हल्का, ठंडक देने वाला और पचाने में आसान होता है। ये कैल्शियम, पोटैशियम और फाइबर से भरपूर है और शरीर को ठंडक देकर उपवास के दौरान ताजगी बनाए रखता है।

वहीं, कुट्टू का आटा बीज से बनाया जाता है, इसमें प्रोटीन और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा होती है। ये पेट लंबे समय तक भरा रखता है और शरीर को गर्मी देता है। दोनों आटे सात्विक होते हैं, लेकिन इनके पोषण और शरीर पर प्रभाव अलग-अलग होते हैं। इसलिए व्रत के दिनों में सही आटे का चयन करना बेहद जरूरी है।

सिंघाड़ा का आटा

स्रोत:

सब समाचार

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