Get App

Mahakumbh 2025: माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के स्नान को क्यों नहीं माना जाता अमृत स्नान? काफी दिलचस्प है वजह

Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी को हुई, जिसमें अब तक तीन अमृत स्नान हो चुके हैं। बसंत पंचमी के बाद नागा साधु लौटने लगे, लेकिन माघी पूर्णिमा (12 फरवरी) और महाशिवरात्रि (26 फरवरी) के स्नान बचे हुए हैं। अमृत स्नान मोक्ष प्रदान करता है, जबकि शेष स्नान भी पुण्यदायी और आध्यात्मिक रूप से शुभ माने जाते हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 09, 2025 पर 12:58 PM
Mahakumbh 2025: माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के स्नान को क्यों नहीं माना जाता अमृत स्नान? काफी दिलचस्प है वजह
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में अमृत स्नान का महत्व

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी को हुआ, जो श्रद्धा, आस्था और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। इस महापर्व के दौरान तीन महत्वपूर्ण अमृत स्नान हो चुके हैं—मकर संक्रांति (15 जनवरी), मौनी अमावस्या (29 जनवरी) और बसंत पंचमी (3 फरवरी)। इन तिथियों पर संगम तट पर आस्था का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला, जहां देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने डुबकी लगाकर मोक्ष व आध्यात्मिक शुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया। महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सनातन संस्कृति, संत परंपरा और भारतीय आध्यात्मिकता का भव्य उत्सव भी है।

इसमें विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों, नागा बाबाओं और तपस्वियों की मौजूदगी इसे और भी दिव्य बना देती है। महाकुंभ का हर स्नान व्यक्ति के पापों को नष्ट करने और पुण्य अर्जित करने का अवसर प्रदान करता है।

नागा साधुओं की विदाई और शेष स्नान

बसंत पंचमी का अमृत स्नान संपन्न होने के बाद, अधिकांश नागा साधु अपने-अपने अखाड़ों के  साथ वापस लौटने लगे। हालांकि, महाकुंभ में अभी भी दो महत्वपूर्ण स्नान बचे हुए हैं—

सब समाचार

+ और भी पढ़ें