फाल्गुन शुक्ल एकादशी को काशी में रंगभरी एकादशी के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वनाथ (शिव) का भव्य श्रृंगार किया जाता है और काशी में होली के उत्सव का शुभारंभ होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विवाह के बाद भगवान शिव माता पार्वती को पहली बार काशी लेकर आए थे और उन्होंने माता को गुलाल अर्पित किया था। तभी से ये परंपरा चली आ रही है। इस दिन बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने और पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। रंगभरी एकादशी से ही वाराणसी में रंगों का त्योहार प्रारंभ हो जाता है, जो अगले छह दिनों तक चलता है।
