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Budget 2023: एक्सपर्ट्स ने वित्तमंत्री को दी EPF पर डबल टैक्सेशन घटाने और सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ाने की सलाह

Budget 2023: एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ाने से टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ घटेगा। साथ ही उसे ज्यादा सेविंग्स करने का भी मौका मिलेगा। उनका मानना है कि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण को यूनियन बजट 2023 में इसका ऐलान करना चाहिए

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 30, 2023 पर 2:16 PM
Budget 2023: एक्सपर्ट्स ने वित्तमंत्री को दी EPF पर डबल टैक्सेशन घटाने और सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ाने की सलाह
ईपीएफ पर 2.5 लाख रुपये से ज्यादा इंटरेस्ट टैक्स के दायरे में आता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि विड्रॉल पर इसे एक्रुअल बेसिस पर टैक्स लगना चाहिए या नहीं।

Union Budget 2023: यूनियन बजट 2023 (Budget 2023) से पहले टैक्स एक्सपर्ट्स ने सरकार से एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) पर 'डबल टैक्सेशन' में कमी करने की मांग की है। इनकम टैक्स एक्स के प्रावधान के तहत कुछ खास स्थितियों में अगर एंप्लॉयी पांच साल से पहले नौकरी छोड़ता है तो ईपीएफ में कंट्रिब्यूशन टैक्स के दायरे में आ सकता है। इसका मतलब है विड्रॉल के समय डबल टैक्सेशन। यानी एक की जगह दो टैक्स, क्योंकि कंट्रिब्यूशन पर पहले ही टैक्स लग चुका है। इसलिए एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और इससे बचाव के लिए खास तरह के एग्जेम्प्शन का ऐलान करना चाहिए।

ईपीएफ पर 2.5 लाख रुपये से ज्यादा इंटरेस्ट टैक्स के दायरे में आता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि विड्रॉल पर इसे एक्रुअल बेसिस पर टैक्स लगना चाहिए या नहीं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंटरेस्ट इनकम पर विड्रॉल के समय टैक्स लगना चाहिए। एंप्लॉयी के ईपीएफ अकाउंट में एंप्लॉयर के 12 फीसदी तक के कंट्रिब्यूशन को टैक्स छूट मिलती है। 1 अप्रैल, 2020 से लागू नियम के तहत प्रोविडेंट फंड, एनपीएस और रिटायरमेंट में एंप्लॉयर का कंट्रिब्यूशन सालाना 7.5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर टैक्स के दायरे में आता है। इसे सैलरी से इनकम माना जाता है और एंप्लॉयी को इस पर टैक्स चुकाना होता है।

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हालांकि, इसमें बदलाव मुश्किल है। इसलिए एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन लिमिट बढ़ा देनी चाहिए। ईपीएफ में एंप्लॉयी के कंट्रिब्यूशन पर भी सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बेनेफिट मिलता है। इसकी लिमिट सालाना 1.5 लाख रुपये है। डेलॉयट इंडिया की पार्टनर ताप्ती घोष का कहना है कि सरकार को इस लिमिट को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर देनी चाहिए। बढ़ती महंगाई और रोजर्मरा के खर्च को देखते हुए यह जरूरी है। उन्होंने कहा, "इससे दो तरह से फायदा होगा। टैक्सपेयर्स को ज्यादा सेविंग्स करने का मौका मिलेगा। उस पर टैक्स का बोझ भी घटेगा। इससे उसके हाथ में खर्च के लिए ज्यादा पैसे बचेंगे।"

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