Budget 2023 : घरेलू बाजार में जिंक की खपत भारत में होने वाले उत्पादन के भीतर ही है। इसीलिए प्राइमरी जिंक प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट पर बेसिक कस्टम ड्यूटी बढ़ाना जरूरी हो गया है। माइनर्स के संगठन फिमी (FIMI) ने सरकार से आम बजट में इस दिशा में पहल करने की मांग की है। सरकार 1 फरवरी, 2023 को बजट पेश करने जा रही है। फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई) ने सरकार से प्राइमरी जिंक प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 5 फीसदी से बढ़ाकर 7.5 फीसदी करने की मांग की है।
कितना होता है जिंक उत्पादन
Federation of Indian Mineral Industries (FIMI) ने अपने बजट पूर्व प्रस्तावों में सरकार से कहा कि भारत जिंक ओर के मामले में समृद्ध है। देश में जिंक की सालाना उत्पादन क्षमता 8,80,000 टन है, जबकि देश में 6,60,000 टन प्रति वर्ष जिंक मेटल की जरूरत है।
आंकड़े बताते हैं कि भारत अपनी डिमांड का 23 फीसदी हिस्सा कोरिया और जापान के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) के जरिये जीरो ड्यूटी पर प्राइमरी जिंक के इम्पोर्ट के जरिये पूरा करता है। इसमें कोई वैल्यू एडिशन नहीं किया जाता है।
जिंक के खनन पर खासे निवेश की है जरूरत
FIMI ने कहा कि घरेलू बाजार में प्राइमरी जिंक की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद ट्रेड एग्रीमेंट्स के जरिये जीरो ड्यूटी पर दूसरे देशों से जिंक के इम्पोर्ट को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
भारत में जिंक माइनिंग के विकास पर, FIMI ने कहा कि जिंक के खनन पर खासा निवेश करने की जरूरत है, जो कई वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के लिए चिंता का विषय नहीं है क्योंकि उनमें से अधिकांश कस्टम स्मेल्टर या ट्रेडर हैं।
भारत में, घरेलू जिंक इंडस्ट्री ने प्लांट्स लगाने और उत्पादन के लिए खासा निवेश किया है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खासे रोजगार सृजित हुए हैं। एफटीए के जरिये बिना किसी ड्यूटी के जिंक और जिंक अलॉय के इम्पोर्ट को अनुमति देने से घरेलू इंडस्ट्री खत्म हो जाएगी।