Union Budget 2023 : भले ही टैक्स रेवेन्यू में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। लेकिन, उभरते देशों के मुकाबले हम अब भी पीछे हैं। भारत का टैक्स टू जीडीपी रेश्यो 10-11 फीसदी है, जबकि इमर्जिंग इकोनॉमीज का औसत 21 फीसदी के आसपास है। वहीं ओईसीडी देशों के लिए यह औसत 33 फीसदी है। यही वजह है कि यूनियन बजट में सरकार का जोर टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी के जरिये फिस्कल कंसोलिडेशन (Fiscal consolidation) पर दिख सकता है। सरकार इस बजट में नियमों को आसान बनाने के लिए कुछ ऐलान कर सकती है। वित्त मंत्रालय ने हाल में टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी के दम पर वित्त वर्ष 2022-23 में फिस्कल डेफिसिट 6.4 फीसदी का टारगेट हासिल होने के संकेत दिए थे।
विदेशी निवेश को लुभाएगी सरकार
भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हाल के दौर में एफडीआई (FDI) में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली। यह वित्त वर्ष 21-22 में 76 फीसदी बढ़ा था। इसकी एक वजह 2019 में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए टैक्स (कॉर्पोरेट टैक्स रेट 15 फीसदी) में कमी रही थी। 15 फीसदी दर का फायदा 31 मार्च 2024 को या उससे पहले स्थापित या परिचालन शुरू करने वाली कंपनियों को उपलब्ध है।
इसके अलावा 194LC और 194LD जैसे कुछ अन्य सेक्शन भारत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करते हैं। इन दोनों सेक्शंस के लिए सनसेटर पीरियड 1 जुलाई, 2023 तक है यानी इसी तारीख तक इनका लाभ लिया जा सकता है। इस बजट में यह अवधि बढ़ाई जा सकती है, जिससे भारतीय कंपनियों को अपनी फंडिंग की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी और विदेशी निवेशकों को निवेश के अवसर मिलेंगे।
कैपिटल गेन्स को व्यवस्थित करना
रेवेन्यू सेक्रेटरी ने हाल के एक इंटरव्यू में कैपिटल गेन्स के प्रोविजंस को व्यवस्थित करने की जरूरत को स्वीकार किया था। कुल मिलाकर समान कैटेगरी की एसेट्स के बीच समानता लाने के लिए, हर एसेट क्लास के लिए एक समान होल्डिंग पीरियड की पेशकश की जा सकती है। उदाहरण के लिए, लिस्टेड शेयरों के लिए ‘लॉन्ग टर्म’ के रूप में क्वालिफाई होने की अवधि 12 महीने है, वहीं यह रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) / इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) की लिस्टेड यूनिट्स के लिए यह 36 महीने बनी हुई है। इस बजट से कैपिटल गेन्स के लिए होल्डिंग पीरियड, बेस ईयर और टैक्स रेट्स में बदलाव की उम्मीद है।
सरकार ने 2020 में कम टैक्स रेट वाला एक नया सरल ऑप्शन पेश किया था। इसमें डिडक्शन या एग्जम्प्शन की कोई अनुमति नहीं थी। यह उन लोगों के लिए अच्छा था, जो इनवेस्ट करने या डिडक्शन क्लेम करने की स्थिति में नहीं हैं। हालांकि, इसको कम ही लोगों ने अपनाया। इसलिए, इस ऑप्शन में कुछ बदलाव और टैक्स रेट्स में बदलाव की उम्मीद की जा रही है, जिससे इसे आकर्षक बनाया जा सके।
इसके अलावा मौजूदा छह की जगह एक आईटीआर फॉर्म (ITR Form) लागू करने पर विचार किया जा रहा है, जिससे कंप्लायंस प्रोसेस को सरल बनाया जा सके।