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Budget 2024 : नए सेंट्रल KYC की शुरुआत से फाइनेंशियल सर्विसेज के इस्तेमाल में होगी आसानी

Union Budget 2024 : अभी फाइनेंशियल सर्विसेज के इस्तेमाल के लिए अलग-अलग फाइनेंशियल इस्टीट्यूशंस से अलग-अलग केवायसी कराना होता है। सेेंट्रल केवायसी की शुरुआत से सिर्फ एक बार केवायसी प्रोसेस पूरा करने के बाद हर तरह की फाइनेंशियल सेवाएं का इस्तेमाल किया जा सकेगा

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 24, 2024 पर 1:10 AM
Budget 2024 : नए सेंट्रल KYC की शुरुआत से फाइनेंशियल सर्विसेज के इस्तेमाल में होगी आसानी
Union Budget 2024 : सेंट्रल केवायसी की शुरुआत से कंप्लॉयंस का बोझ घटेगा। फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस का भी बार-बार केवायसी पर आने वाला खर्च बचेगा। इससे एक मजबूत डेटाबेस तैयार होगा, जिससे रेगुलेटरी बॉडीज और दूसरी एजेंसियों को सही तस्वीर मिल सकेगी।

Interim Budget 2024 : सरकार यूनियन बजट 2024 (Union Budget 2024) से पहले सभी तरह की फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए सिंगल नो योर कस्टमर (KYC) के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इससे बार-बार पेपरवर्क करने से छुटकारा मिलेगा। साथ ही फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और दूसरे बिजनेसेज की कॉस्ट में कमी आएगी। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस भी बढ़ेगा। एक सेंट्रलाइज्ड फुल-प्रूफ केवाईसी से निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को कामकाज में आसानी होगी और इनवेस्टर्स के लिए भी निवेश करना आसान हो जाएगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस मसले पर विचार के लिए 24 जनवरी को एक उच्च-स्तरीय मीटिंग बुलाई हैं। इस बैठक में वित्त मंत्रालय के शीर्ष स्तर के अफसरों के साथ ही रेगुलेटरी बॉडीज के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसमें सरकारी और प्राइवेट बैंकों के प्रमुख भी मौजूद रहेंगे। बैठक में सेंट्रल KYC (CKYC) खासकर सेंट्रल नो योर कस्टमर रजिस्ट्री (CKYCR) के इस्तेमाल पर विचार होगा।

कस्टमर को बार-बार केवायसी प्रोसेस से मिलेगा छुटकारा

CKYC के इस्तेमाल से कस्टमर्स और इनवेस्टर्स को फाइनेंशियल सेक्टर में अलग-अलग एनटिटी से इंटरएक्शन के पहले सिर्फ एक बार KYC पूरा करना होगा। इससे इनवेस्टर्स को अलग-अलग ऑर्गेनाइजेशंस के साथ कई बार केवायसी की जरूरत नहीं रह जाएगी। उसके लिए निवेश या ट्रांजेक्शन करना आसान हो जाएगा। इससे कंप्लॉयंस का बोझ घटेगा। फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस का भी बार-बार केवायसी पर आने वाला खर्च बचेगा। इससे एक मजबूत डेटाबेस तैयार होगा, जिससे रेगुलेटरी बॉडीज और दूसरी एजेंसियों को सही तस्वीर मिल सकेगी।

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