अभिषेक अनेजा
अभिषेक अनेजा
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को अपना चौथा बजट (Budget 2022) पेश करेंगी। यह बजट ऐसे वक्त आ रहा है, जब चार राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assemblies Elections) होने जा रहे हैं। इनमें यूपी जैसा राजनीतिक रूप से अहम राज्य भी शामिल है। उधर, नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक चले आंदोलन से इन दोनों राज्यों के चुनावों में भाजपा (BJP) के लिए रास्ता आसान नहीं होगाा। ऐसे में निर्मला सीतारमण के बजट से उम्मीद की किरणें दिख रही हैं, जो इन राज्यों में किसानों के घावों पर मरहम हो सकती हैं।
यह बजट ऐसे वक्त भी आ रहा है जब कोरोना की तीसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है। हालांकि, यह लहर दूसरी जैसी जानलेवा नहीं है। लेकिन, कई राज्यों ने इसे फैलने से रोकने के लिए कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं। इनका असर ट्रेवल और टूरिज्म (Travel and Tourism), रिटेल (Retail), रेस्टोरेट्ंस (Restaurants), एंटरटेनमेंट (Entertainment) सहित कई सेक्टर पर पड़ा है। इन सेक्टर को बजट में राहत के उपायों की उम्मीद है।
उधर, इंडस्ट्री और प्रोफेशनल बॉडीज के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर उन्हें अपनी राय बताई है। उनका मानना है कि वित्त मंत्री को बजट में इकोनॉमी को बढ़ावा देने, छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों की मदद और टैक्सपेयर्स को राहत देने वाले बड़े उपायों का ऐलान करना चाहिए। वित्त मंत्री टैक्सपेयर्स के लिए निम्न उपायों का एलान कर सकती हैं।
1. होम लोन के इंट्रेस्ट और प्रिंसिपल रीपेमेंट पर ज्यादा डिडक्शन
पिछले कुछ सालों में जमीन की बढ़ती कीमतों और कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में वृद्धि के चलते घर खरीदना मुश्किल हो गया है। होम लोन पर ग्राहकों को ब्याज के रूप में बड़ी रकम चुकानी पड़ती है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत होम लोन के इंट्रेस्ट पर डिडक्शन पिछले कई साल से 2 लाख रुपये बना हुआ है। उधर, प्रिंसिपल रीपेमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन भी नाकाफी है, क्योंकि इस ब्रैकेट में पीपीएफ, ईएलएसएस, इंश्योरेंस और ट्यूशन फीस जैसी कई चीजें आती हैं।
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि
अभी नौकरी करने वाले लोगों को सालाना 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। इसे बढ़ाकर 75,000 रुपये करने की जरूरत है। इससे महंगाई की मार से बेहाल मध्यम वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
3. न्यू टैक्स रीजीम में बदलाव
सरकार ने उन लोगों के लिए टैक्स की नई रीजीम पेश किया था, जो किसी तरह के टैक्स छूट का दावा नहीं करते। लेकिन, इसमें टैक्सपेयर्स ने बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है। वित्त मंत्री को कुछ बदलाव के साथ इसे आकर्षक बनाने की जरूरत है।
4. मेडिकल खर्च पर डिडक्शन
देश में ज्यादातर लोगों की पहुंच बीमा उत्पादों तक नहीं है। इधर, बीते कुछ सालों में हेल्थ पर होने वाला खर्च बहुत बढ़ गया है। अगर वित्त मंत्री बजट में इलाज खर्च पर डिडक्शन का ऐलान करती हैं तो इससे बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिलेगी।
5. क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स
बीते कुछ सालों में देश में क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट बहुत ज्यादा बढ़ा है। बिटकॉइन सहित दूसरी क्रिप्टोकरेंसी के इन्वेस्टर्स टैक्स के मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं होने से कनफ्यूज्ड हैं। उन्हें इस मामले में बजट में तस्वीर साफ होने की उम्मीद है। इसके अलावा बजट में क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए व्यापक नियम पेश होने की भी उम्मीद है।
6. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए स्टेलब टैक्स रीजीम
केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को चुनावी वादा बनाया था। लेकिन, 2014 के बाद से टैक्सेशन और कॉर्पोरेट लॉज में पहले की तारीख (Retrospective) से कई बदलाव लागू होने की वजह से स्थितियां बहुत अनुकूल नहीं रही हैं। इससे टैक्सपेयर्स में कनफ्यूजन है। बजट में यह आश्वासन मिलना चाहिए कि सकार टैक्स कानूनों को स्टेबल बनाए रखेगी।
7. इलेक्ट्रिक व्हीकल और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा
सरकार को इलेक्ट्रिक व्हीकल और ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए चार्जिंग प्वाइंट्स, ग्रीन एनर्जी के उत्पादन और बैटरीज की रीसाइक्लिंग और निस्तारण से जुड़ी कंपनियों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के लिए लोन के इंट्रेस्ट पर सालाना 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन मिलता है। इसके बजाय इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने पर इंट्रेस्ट पर पूरा डिडक्शन मिलना चाहिए।
8. सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन में वृद्धि
अभी इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन मिलता है। इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की जरूरत है। इसकी वजह यह है कि इस सेक्शन के तहत कई टैक्स सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं।
9. टैक्स छूट के लिए आय की सीमा बढ़ाकर 5 लाख करने की जरूरत
सरकार को टैक्स छूट के लिए आय की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की जरूरत है। अभी सालाना 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है। फिर, 12,500 रुपये का रिबेट उन लोगों को दिया जाता है जिनकी आय 5 लाख रुपये से कम है। 5 लाख रुपये से ज्यादा आय वाले लोगों के लिए किसी तरह का रिबेट उपलब्ध नहीं है। अगर उनकी आय 5 लाख रुपये से 10 रुपये भी ज्यादा हो जाती हो तो 12500 रुपये का बेसिक टैक्स चुकाना पड़ता है।
10. कोरोना से प्रभावित क्षेत्रों को रिलीफ
सरकार को ऐसे क्षेत्रों को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, जिन पर कोरोना की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। इनमें टूरिज्म, रियल एस्टेट, रिटेल और एंटरटेनमेंट जैसे सेक्टर शामिल हैं। इन सेक्टर की कंपनियों और उनमें काम करने वाले लोगों को बजट में मदद का ऐलान होना चाहिए।
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।