Yes Bank AT1 Bonds Case: वित्तीय दबावों से जूझ रहे निजी सेक्टर के दिग्गज बैंक Yes Bank का मार्च 2020 में पूरा ढांचा फिर से तैयार किया गया था। इसके तहत बैंक ने 8415 करोड़ रुपये के एडीशनल टियर-1 (AT1) बॉन्ड्स की वैल्यू जीरो कर दी। इसकी वैल्यू जीरो करने के खिलाफ इन बॉन्ड्स में पैसे लगाने वाले खुदरा और इंस्टीट्यूशनल निवेशक बॉम्बे हाईकोर्ट में चले गए, जहां उनके पक्ष में फैसला आया। इसके बाद यस बैंक इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहा है। यहां सवाल यह उठता है कि क्या वाकई इन बॉन्ड में पैसे लगाने वाले निवेशकों को रिस्क के बारे में नहीं पता था जैसा उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने दावा किया है? इसे लेकर मनीकंट्रोल ने जांच-पड़ताल की जिसमें अहम बातें सामने आई हैं।
क्या है दोनों पक्षों का कहना
निवेशकों का कहना है कि उन्हें ये बॉन्ड्स सुपर एफडी के रूप में बेचे गए थे और बताया गया था कि इसमें पैसा नहीं डूबेगा। आमतौर पर बॉन्ड्स और डिबेंचर्स निवेश के लिए स्टॉक मार्केट की तुलना में सुरक्षित माने जाते हैं। इसी वजह से निवेशकों ने यस बैंक एटी1 बॉन्ड्स में कुछ लाख रुपये से लेकर 9-10 करोड़ रुपये तक की पूंजी लगा दी। वहीं यस बैंक के एग्जेक्यूटिव्स का कहना है कि निवेशकों ने ऑफर डॉक्यूमेंट में दिए गए रिस्क को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।
क्या था Yes Bank AT1 Bonds के ऑफर डॉक्यूमेंट में
इन बॉन्ड्स के ऑफर डॉक्यूमेंट में लिखा है कि डेट और डेट से जुड़ी सिक्योरिटीज में निवेश जोखिम भरा है और अगर निवेशक रिस्क नहीं उठा सकते हैं तो उन्हें इसमें निवेश करने से बचना चाहिए। निवेश करने से पहले सभी रिस्क को सावधानीपूर्व पढ़ने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा इस ऑफर डॉक्यूमेंट में था कि अभी एडीशनल रिस्क या अनिश्चितताओं के बारे में बैंक को कोई जानकारी नहीं है लेकिन भविष्य में कुछ भी हो सकता है जिसे निवेशक नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
ऑफर डॉक्यूमेंट में एक और फैक्टर लिखा है कि अगर बैंक की वित्तीय सेहत बिगड़ती है तो रेटिंग एजेंसी डिबेंचर्स की रेटिंग घटा सकते हैं। ऐसे में निवेशकों को घाटा हो सकता है। हालांकि रेटिंग के भरोसे खरीदारी, होल्ड या बिक्री का फैसला नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह डिबेंचर के मार्केट प्राइस या किसी खास निवेशक की क्षमता पर टिप्पणी नहीं करता है। केयर और इंडिया रेटिंग्स दोनों ने यस बैंक के डिबेंचर्स को AA/Stable रेटिंग दी थी लेकिन इस रेटिंग ने निवेशकों के पैसे डूबने से बचाने में कोई मदद नहीं की। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यस बैंक के एटी1 बॉन्ड्स के ऑफर डॉक्यूमेंट में सभी रिस्क के बारे में जानकारी मुहैया कराई गई थी।