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Zee-Sony Merger होगा रद्द? बस इतने दिन में हो जाएगा क्लियर

Zee-Sony Merger: जी और सोनी के बीच 1 हजार करोड़ डॉलर के विलय सौदे को लेकर आज सोनी के बोर्ड की बैठक होनी है। सोनी अपने भारतीय कारोबार को जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (Zee Entertainment Enterprises) के साथ विलय करने वाली है लेकिन यह सौदा लंबे समय से अटका हुआ है। जानिए इस मामले में कब तक सोनी के फैसले की जानकारी सामने आएगी?

अपडेटेड Jan 19, 2024 पर 10:38 AM
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Zee-Sony Merger: सोनी ग्रुप इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या सौदे को रद्द कर दिया जाए। इस प्रस्ताव पर विचार इसलिए हो रहा है क्योंकि विलय के बाद बनने वाली कंपनी की कमान किसके हाथों में होगी, इसे लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है।

Zee-Sony Merger: जी और सोनी के बीच 1 हजार करोड़ डॉलर के विलय सौदे को लेकर आज सोनी के बोर्ड की बैठक होनी है। सोनी अपने भारतीय कारोबार को जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (Zee Entertainment Enterprises) के साथ विलय करने वाली है लेकिन यह सौदा लंबे समय से अटका हुआ है। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब इसे ही लेकर अहम फैसले के लिए आज सोनी के बोर्ड की बैठक होनी है। इस बैठक में क्या फैसला हुआ, इसके बारे में कंपनी अगले हफ्ते की शुरुआत में टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी देगी। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह विलय प्रस्ताव बंद हो सकता है। हालांकि मनीकंट्रोल इस रिपोर्ट के सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकता है।

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Zee-Sony Merger क्यों हो सकता है रद्द?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोनी ग्रुप इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या सौदे को रद्द कर दिया जाए। इस प्रस्ताव पर विचार इसलिए हो रहा है क्योंकि विलय के बाद बनने वाली कंपनी की कमान किसके हाथों में होगी, इसे लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। सारा मामला जी के सीईओ पुनीत गोएनका के कमान संभालने को लेकर जुड़ा है। वर्ष 2021 में जब इस सौदे पर बात बनी थी तो उस समय यह तय हुआ था कि पुनीत गोएनका नई कंपनी के सीईओ होंगे। हालांकि अब उनके खिलाफ नियामकीय जांच चल रही है तो सोनी के विचार बदल गए हैं और वह नहीं चाहती है गोएनका को नई कंपनी की कमान दी जाए।


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किस कारण पुनीत गोएनका के नाम पर अब सोनी सहमत नहीं

पिछले साल जून में बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने जी एंटरटेनमेंट पर पैसों की हेराफेरी का आरोप लगाया। सेबी ने अपनी जांच में पाया कि इसके फाउंडर सुभाष चंद्रा से जुड़े निजी सौदों को छिपाने के लिए जी ने लोन वसूली का गलत दावा किया। सेबी ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि सुभाष चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोएनका ने अपने पद और प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया और पैसों को डाइवर्ट किया। इसके चलते बाजार नियामक ने पुनीत गोएनका को किसी भी लिस्टेड कंपनी में एग्जेक्यूटिव या डायरेक्टर पोजिशन लेने पर रोक लगा दिया है।

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