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Tata Trusts Row: डेरियस खंबाटा बोले- तख्तापलट या टेकओवर की कहानी बेतुकी, नोएल टाटा को किया सपोर्ट

खंबाटा का लेटर यह साफ करता है कि वह मौजूदा विवाद को कंट्रोल के लिए लड़ाई के बजाय मामले को गलत तरीके से पेश किए जाने का नतीजा मानते हैं। लेटर से पता चलता है कि टाटा संस की संभावित लिस्टिंग को लेकर चिंताओं ने पिछले कुछ महीनों में टाटा ट्रस्ट्स के अंदर चर्चा को तेज कर दिया था

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Nov 21, 2025 पर 2:01 PM
Tata Trusts Row: डेरियस खंबाटा बोले- तख्तापलट या टेकओवर की कहानी बेतुकी, नोएल टाटा को किया सपोर्ट
डेरियस खंबाटा अभी दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में हैं।

टाटा ट्रस्ट्स की 11 सितंबर, 2025 को हुई मीटिंग सिर्फ एक सालाना रिव्यू थी। यह टाटा फिलैंथ्रोपिक ग्रुप के अंदर तख्तापलट या टेकओवर की कोशिश नहीं थी। सीनियर एडवोकेट डेरियस जे खंबाटा ने सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के खास ट्रस्टियों को एक कॉन्फिडेंशियल लेटर लिखा है। इस लेटर में ही ऐसा जिक्र किया गया है। खंबाटा महाराष्ट्र के पूर्व एडवोकेट जनरल और भारत के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हैं। वह अभी दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में हैं।

10 नवंबर, 2025 के लेटर में खंबाटा ने लिखा है कि वह मीटिंग के बारे में मीडिया द्वारा गढ़ी गई कहानी से परेशान हैं और तख्तापलट की बातें बेतुकी हैं। खंबाटा ने यह लेटर सर दोराबजी और सर रतन टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा के साथ-साथ ट्रस्टी वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, प्रमित झावेरी, और जहांगीर एचसी जहांगीर को लिखा है।

खंबाटा के मुताबिक, 11 सितंबर की मीटिंग एक सालाना रिव्यू थी न कि किसी को हटाने या कंट्रोल कब्जाने की कोशिश। उन्होंने लिखा, "टाटा संस के बोर्ड में वह रिप्रेजेंटेशन ट्रस्ट के प्रति एक ड्यूटी है, कोई इनाम नहीं।

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