Mustard Sowing at Record High: देश में सरसों की बुआई पिछले साल से करीब 14 बढ़ी है और बाजार इस साल ज्यादा उत्पादन की उम्मीद कर रहा है। दरअसल, सरसों की बुआई बढ़ने की सबसे बड़ी वजह चीन की बढ़ती मांग और देश में अनुकूल मौसम परिस्थितियां हैं।

Mustard Sowing at Record High: देश में सरसों की बुआई पिछले साल से करीब 14 बढ़ी है और बाजार इस साल ज्यादा उत्पादन की उम्मीद कर रहा है। दरअसल, सरसों की बुआई बढ़ने की सबसे बड़ी वजह चीन की बढ़ती मांग और देश में अनुकूल मौसम परिस्थितियां हैं।
भारतीय किसान आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर में रेपसीड बोते हैं। इस साल अब तक उन्होंने 41 लाख हेक्टेयर में बुवाई की है, जो पिछले साल इसी समय की तुलना में 13.5 फीसदी ज्यादा है। देश ने पिछले साल 90 लाख हेक्टेयर में रेपसीड की बुवाई की थी, जो 5 सालों की बुआई का औसत 79 लाख हेक्टेयर से अधिक है। बतातें चलें कि चीन से मील खरीद बढ़ने से बुआई बढ़ी।
अप्रैल-सितंबर 2025 में चीन भारत से 4.88 लाख मीट्रिक टन खरीद रहा है । जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह मात्रा केवल 60,759 टन थी।बाजार जानकारों का कहना है कि रेपसीड या सरसों में सोयाबीन से अधिक तेल की मात्रा होती है, जिससे यह तेल उत्पादन के लिए ज्यादा लाभदायक फसल बनती है।
बता दें कि वर्तमान में भारत अपनी खाद्य तेल की जरूरत का करीब दो-तिहाई हिस्सा आयात करता है। भारत मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम ऑयल, ब्राजील और अर्जेंटीना से सोया ऑयल, और यूक्रेन तथा रूस से सूरजमुखी तेल आयात करता है। सरसों उत्पादन बढ़ने से भारत को विदेशी तेल पर निर्भरता घटाने में मदद मिलेगी। इससे न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होगी बल्कि किसानों को घरेलू बाजार में बेहतर दाम भी मिलेंगे।
Vijay Solvex Ltd के एमडी विजय डाटा ने कहा कि अच्छे मॉनसून के चलते उम्मीद है कि सरसों की फसल उम्मीद से भी बेहतर हो। फसल की बुवाई भी बढ़ी है। इस साल सरसों में अच्छी रिकवरी देखने को मिलेगी।मई-जून में सरसों का प्रीमियम काफी अच्छा था। सरसों तेल आगेभी प्रीमियम पर ही बिकने की उम्मीद है। कच्ची घानी की डिमांड काफी अच्छी है। अभी तक सरसों की बुआई 25-30 फीसदी हो पाई है।
सरसों तेल की कीमतों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कीमतें साइडवेज रह सकती है। आगे 1-2 महीने में कीमतों में गिरावट की उम्मीद नहीं है।
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