2022 में तेल की कीमतों में बेतहाशा उछाल आया। यूक्रेन में युद्ध के बीच तंग आपूर्ति का सामना करना पड़ा। फिर शीर्ष आयातक चीन की तरफ कमजोर डिमांड देखने को मिली। आर्थिक चिंताओं के कारण इसका फिसलना नजर आया। लेकिन शुक्रवार को इसका भाव लगातार दूसरे साल ये बढ़त के साथ बंद हुआ। इस साल मार्च में कीमतों में वृद्धि हुई क्योंकि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से वैश्विक रूप से कच्चे तेल का प्रवाह रुक गया। अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट 139.13 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। ये भाव 2008 के बाद सबसे अधिक है। दूसरी छमाही में कीमतों में तेजी से गिरावट आई। इसकी वजह ये रही कि केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की। इससे मंदी की चिंता को हवा मिली।