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Congo Mysterious Disease: कांगो में बच्चों ने खाया चमगादड़ का मांस, आया बुखार हो गई मौत, रहस्यमयी बीमारी से मचा हड़कंप

Congo Mysterious Disease: अफ्रीकी देश कांगो में इन दिनों एक अज्ञात बीमारी ने लोगों की चिंता बढ़ा रखी है। यहां एक जानलेवा बीमारी ने 50 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें, तो चमगादड़ खाने वाले तीन बच्चों में सबसे पहले इस बीमारी का पता चला था। जिसके बाद अब इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 28, 2025 पर 8:58 AM
Congo Mysterious Disease: कांगो में बच्चों ने खाया चमगादड़ का मांस, आया बुखार हो गई मौत, रहस्यमयी बीमारी से मचा हड़कंप
Congo Mysterious Disease: कांगो में इन दिनों एक मिस्ट्री डिजीज का मामला सामने आया है। बीमारी के लक्षण दिखने के 48 घंटों के अंदर अधिकतर मरीजों की मौत हो रही है।

उत्तर-पश्चिमी कांगो में इन दिनों एक अजीबोगरीब बीमारी की पहचान की गई है। इससे तीन बच्चों की मौत हो गई है। इस बीमारी की जब जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि अब तक इस बीमारी से 50 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई है। ज़्यादातर मामलों में लक्षणों की शुरुआत बुखार, उल्टी और इंटरनल ब्लीडिंग शामिल है। मृत्यु के बीच का अंतराल 48 घंटे रहा है और यही सबसे ज़्यादा चिंताजनक बात है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें, तो चमगादड़ खाने वाले तीन बच्चों में सबसे पहले इस बीमारी का पता चला था। जिसके बाद अब इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

जानवरों से इंसानों में फैलने वाली इस बीमारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अलर्ट पर है। शुरुआत में इस बीमारी का पता लगाने के लिए जो लैब टेस्ट हुए हैं। उसमें ये एक जटिल किस्म का मलेरिया पाया गया है। जिससे इसके फैलने के कारणों पर बात करना और मुश्किल हो गया।

जानिए कांगों की क्या है बीमारी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये एक तरह का हेमोरैजिक फीवर है। जिसे जूनोटिक बीमारी माना जा रहा है। यानी जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। सिर्फ पांच हफ्ते से फैली इस बीमारी से 50 लोगों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर मरीज बीमारी शुरू होने के 48 घंटों के भीतर ही काल के गाल में समा गए। लक्षणों के दिखने और मौत के बीच के इस बहुत कम गैप से स्वास्थ्य विशेषज्ञों चिंतित हैं। दूसरे आउटब्रेक के बाद, 13 मामलों के नमूने टेस्ट के लिए किंशासा में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल रिसर्च को भेजे गए। सभी सैंपल इबोला और मारबर्ग जैसी बीमारियों के लिए निगेटिव पाए गए हैं। हालांकि कुछ नमूनों में मलेरिया के लिए पॉजिटिव पाया गया है।

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