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अतुल सुभाष आत्महत्या मामला: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास और साले को दी जमानत

Atul Subhash Suicide Case: अतुल सुभाष आत्महत्या मामले में बेंगलुरु की सिटी सिविल कोर्ट ने शनिवार 4 जनवरी को उनकी पत्नी (निकिता सिंघानिया), सास (निशा सिंघानिया) और साले (अनुराग सिंघानिया) को जमानत दे दी। 34 वर्षीय अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु में अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी

Moneycontrol Newsअपडेटेड Jan 04, 2025 पर 7:20 PM
अतुल सुभाष आत्महत्या मामला: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास और साले को दी जमानत
Atul Subhash suicide: अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी

Atul Subhash Suicide Case: अतुल सुभाष आत्महत्या मामले में बेंगलुरु की सिटी सिविल कोर्ट ने शनिवार 4 जनवरी को उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को जमानत दे दी। 34 वर्षीय अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु में अपनी पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी। वह एक प्राइवेट कंपनी में डिप्टी जनरल मैनेजर थे। अतुल ने आत्महत्या से पहले अपनी पत्नी और उनके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए 24 पन्नों का नोट छोड़ा था।

सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया ने मामले में जमानत के लिए बेंगलुरु की सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने पहले कर्नाटक हाई कोर्ट से अपील किया थी कि सेशन कोर्ट को उनकी जमानत याचिका का निपटारा करने का निर्देश दिया जाए। हाई कोर्ट ने सेशन कोर्च को आज याचिका का निपटारा करने का निर्देश दिया था।

अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद बेंगलुरु पुलिस ने उनकी पत्नी, सास और साले पर सुभाष को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया था। पुलिस ने बताया कि निकिता को हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था, जबकि उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को 14 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया था।

सुभाष का शव नौ दिसंबर को साउथ-ईस्ट बेंगलुरु के मुन्नेकोलालु में उसके घर पर फंदे से लटका मिला था। सुभाष ने वीडियो और 24 पन्नों के सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि उनसे अलग रह रही उसकी पत्नी और ससुराल वालों ने ‘‘झूठे’’ मामलों में फंसाकर और ‘‘लगातार उत्पीड़न कर’’ उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया।

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