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Ayodhya Ram Mandir: नागर शैली में बना है अयोध्या का राम मंदिर, जानिए इस शैली की खासियत और क्यों चुना गया

Ayodhya Ram Mandir: देश में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा हो चुकी है। इसे नागर शैली में बनाया गया है। इस शैली में मंदिर काफी खुला होता है। मुख्य भवन चबूतरे पर बना होता है। मंदिर परिसर की डिजाइन 81 साल के वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे आशीष ने मिलकर तैयार किया है। जानिए, क्या है नागर शैली

Jitendra Singhअपडेटेड Jan 23, 2024 पर 12:03 PM
Ayodhya Ram Mandir: नागर शैली में बना है अयोध्या का राम मंदिर, जानिए इस शैली की खासियत और क्यों चुना गया
Ayodhya Ram Mandir: नागर शैली का इतिहास बहुत पुराना है। इस वास्तुकला की अपनी खासियतें हैं।

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हो गई। इस मंदिर को 81 साल के चंद्रकांत बी सोमपुरा (Chandrakant B Sompura) और उनके 51 साल के बेटे आशीष (Ashish) ने नागर शैली (Nagara style) की वास्तुकला में इसे डिजाइन किया है। मंदिर के डिजाइन और निर्माण के लिए सोमपुरा से सबसे पहले विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad – VHP) के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने संपर्क किया था। सोमपुरा को जगह का निरीक्षण करने और माप लेने के लिए अयोध्या भेजा गया था। भारी सुरक्षा बल की वजह से उन्हें मापने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लिहाजा फीता की जगह उन्होंने अपने कदमों से माप की थी।

इसके बाद इसके मंदिर को बनाने के लिए 3 डिजाइन तैयार किए गए। कई दशकों के बाद उनके दो बेटों निखिल और आशीष सोमपुरा ने राम मंदिर निर्माण में उनकी मदद की। राम मंदिर को बनाने के लिए नागर शैली को चुना गया है। इसकी वजह ये है कि उत्तर भारत और नदियों से सटे हुए इलाकों में यही शैली प्रचलित है। इस वास्तुकला की अपनी खासियतें हैं।

राम मंदिर की वास्तु कला

मंदिर बनाने की तीन शैलियां प्रमुख थीं। इसमें नागर, द्रविड़ और वेसर हैं। 5वीं सदी के उत्तर भारत में मंदिरों पर ये प्रयोग होने लगा था। इसी दौरान दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली से भी मंदिर बनाए जाने लगे थे। नागर शैली में मंदिर बनाते हुए कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है। इसमें मुख्य इमारत ऊंची जगह पर बनी होती है। नागर शैली में मंदिर का मुख्य भवन एक ऊंचे चबूतरे पर बनाया जाता है। इस चबूतरे पर ही एक गर्भगृह (sanctum sanctorum) बना होता है। यानी वो बंद स्थान, जहां मंदिर के प्रमुख देवता की मूर्ति होती है। गर्भगृह को मंदिर का सबसे पवित्र हिस्सा माना जाता है। गर्भगृह के ऊपर ही शिखर होता है। ये शिखर ही नागर शैली के मंदिरों का सबसे खास पहलू है।

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