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रुपए में ग्लोबल ट्रेड करने की राह मुश्किल, जानिए इस तरह के ट्रेड की क्या हैं दिक्कतें!

रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की शुरुआत भले हो गई हो, लेकिन यह राह काफी लंबी और मुश्किलों भरी है। इसकी सफलता के लिए एक डायनेमिक नीतिगत वातावरण चाहिए जिसमें आवश्यकता के मुताबिक तुरंत बदलाव किए जा सकें और उचित नीतिगत हस्तक्षेप हो सके

Bhuwan Bhaskarअपडेटेड Apr 03, 2023 पर 12:00 PM
रुपए में ग्लोबल ट्रेड करने की राह मुश्किल, जानिए इस तरह के ट्रेड की क्या हैं दिक्कतें!

भारत को वर्ल्ड ऑर्डर में एक मजबूत देश के तौर पर स्थापित करने का नरेंद्र मोदी का एजेंडा ‘मेक इन इंडिया’ से एक कदम और आगे बढ़ता दिख रहा है। दुनिया में आज की तारीख में ऐसे कम से कम 18 देश हैं, जिन्होंने भारतीय रुपया को भारत के साथ होने वाले व्यापार में लेन-देन का माध्यम स्वीकार कर लिया है। पहले ये देश भारत के साथ अमेरिकी डॉलर में आपसी व्यापार करते थे। तो साल भर में ऐसा क्या बदल गया? इस घटनाक्रम का मतलब क्या है और इसका भविष्य क्या है?

रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल करने का विचार लगभग साल भर पहले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट ‘इकोरैप’ के साथ शुरू हुआ था, जिसमें रुपये के ‘अंतरराष्ट्रीयकरण’ की सिफारिश की गई। रिपोर्ट में इसके पीछे दो कारण बताए गए थेः विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से डॉलर का पलायन और रुपये का अवमूल्यन। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घट रही कुछ अन्य घटनाओं ने भी इसकी पृष्ठभूमि तैयार की।

इनमें रूस और ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध सबसे महत्वपूर्ण थे क्योंकि इन दोनों ही देशों के साथ भारत की एनर्जी सिक्योरिटी के तार गहराई से जुड़े हैं, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध की शर्तों के मुताबिक इन दोनों देशों के साथ लेन-देन में डॉलर का प्रयोग नहीं किया जा सकता। इसी तरह श्रीलंका जैसे देश, जिनके विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हैं, के साथ भारतीय लेन-देन में भी मुश्किलें आ रही थीं। इन सबके अलावा यह एक रणनीतिक फैसला भी था क्योंकि पिछले कुछ समय से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर बहुत ज्यादा दबाव महसूस किया जा रहा था। वर्ष 2022 के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले 10% अवमूल्यन के साथ एशिया की तमाम मुद्राओं में सबसे ज्यादा कमजोर होने वाली करेंसी था।

ऐसे में 11 जुलाई 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक सर्कुलर जारी कर वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात में व्यापार सेटलमेंट के लिए रुपये के इस्तेमाल को अनुमति दे दी। रुपये में भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय व्यापार जो रूस के साथ शुरू हुआ, आज की तारीख में श्रीलंका, मॉरीशस, सऊदी अरब, UAE, जर्मनी, सिंगापुर, UK सहित लगभग डेढ़ दर्जन देशों के साथ फैल चुका है। सिर्फ रूस के साथ भारतीय व्यापार का हिसाब किया जाए तो रुपये में सेटलमेंट शुरू होने के बाद से भारत ने अब तक 30 अरब डॉलर से ज्यादा बचा लिया है। फिर भी, रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार सुनने में जितना दमदार लगता है, उतना ही जटिल भी है।

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