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महान वैज्ञानिक सी.वी रमन ने नोबल पुरस्कार के पैसों से क्यों खरीदे थे 300 हीरे

एकबार ईरानी सांस्कृतिक प्रतिनिधि मंडल भारत आया हुआ था। उसके नेता अली असगर हिकमत से डॉक्टर रमन ने मजाक में कहा था कि यदि मुझे पैसे बनाने का चस्का लग जाए तो मैं अपनी प्रयोगशाला में बैठकर सिर्फ सिर्फ हीरे बनाउंगा। हालांकि मैं कह नहीं सकता कि दुनिया इसके लिए मुझे बधाई देगी या कोसेगी

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 20, 2022 पर 7:49 AM
महान वैज्ञानिक सी.वी रमन ने नोबल पुरस्कार के पैसों से क्यों खरीदे थे 300 हीरे
हीरों के प्रति अपने लगाव और उसके शोध से जो जानकारी उन्हें हासिल हुई थी, उसको लेकर डॉक्टर रमन उत्साहित रहते थे

सुरेंद्र किशोर

डॉक्टर सी.वी. रमन को जब नोबल पुरस्कार मिला तो उन्होंने पुरस्कार की राशि से 300 हीरे खरीदे थे। ऐसा नहीं था कि उन्हें हीरों का शौक था। बल्कि उन्होंने ने उन हीरों पर रिसर्च कर कई नए सिद्धांत दिए। उनकी सबसे अहम खोज विकिरण प्रभाव (Radiation effect) है जो रमन प्रभाव के नाम से मशहूर हुआ। इस खोज के लिए उन्हें सन 1930 में नोबल पुरस्कार मिला था। अब तक इस देश की 9 हस्तियों को नोबल पुरस्कार मिल चुका है।

बचपन से ही मेधावी छात्र रमन ने सात साल की मेहनत से यह खोज की थी। वे इतने आत्म विश्वासी थे कि उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कुलपति आशुतोष मुखर्जी से पहले ही कह दिया था कि आप मुझे सुविधाएं दीजिए, मैं पांच साल के भीतर नोबल पुरस्कार जरूर हासल कर लूंगा। और ऐसा ही हुआ। आशुतोष मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी के पिता थे।

7 नवंबर, 1888 को मद्रास के तिरुचिल्लापली में रमन का जन्म हुआ था। उनके पिता विज्ञान शिक्षक थे। 21 नवंबर 1970 को रमन का निधन हो गया। पर इस बीच उन्होंने अनेक उपलब्धियां हासिल कीं। सन 1954 में उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

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