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UP Assembly Election: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नतीजों का साफ संकेत दे रहे हैं टिकैत बंधु

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क़रीब 150 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के संकेत देखना होगा और, उन संकेतों को समझने का सबसे आसान तरीक़ा आज की तारीख़ में नरेश टिकैत और राकेश टिकैत की हरकतें हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 04, 2022 पर 1:42 PM
UP Assembly Election: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नतीजों का साफ संकेत दे रहे हैं टिकैत बंधु
नरेश टिकैत और राकेश टिकैत की हरकतों का नतीजा क्या होगा

हर्ष वर्धन त्रिपाठी

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों पर सबकी निगाहें हैं। 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले एक वर्ष से अधिक समय तक चले कृषि क़ानून विरोधी आंदोलनों के बाद इन चुनावों को देखने का दृष्टिकोण एकदम ही अलग हो गया है। विपक्षी दलों की अपनी ज़मीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रांड के आगे भले ही मज़बूत न हो सकी हो, लेकिन किसान आंदोलन के साथ पांचों राज्यों में राजनीतिक समीकरण बदलने का अनुमान हर राजनीतिक विश्लेषक लगा रहा है और इसी पर विपक्षी नेताओं की आस टिकी है।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब के परिणामों को कृषि क़ानून विरोधी आंदोलन से जोड़कर देखा जाना तय है। हालांकि, गोवा और मणिपुर के चुनावों पर किसानों और कृषि क़ानून विरोधी आंदोलन का रंचमात्र भी फ़र्क़ पड़ेगा, ऐसा मानने वाले ना के बराबर हैं। उत्तर प्रदेश से जुड़े उत्तराखंड के एक ज़िले की कुछ विधानसभा सीटों पर ही किसान आंदोलन का प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनावी परिणाम चाहे जिस दिशा में जाएं, उससे किसान आंदोलन को जोड़कर अवश्य देखा जाएगा।

अब पंजाब में तो किसानों के कई संगठन ने मिलकर पार्टी बना ली है और सीधे तौर पर उनकी हैसियत का पता नतीजों के बाद लग जाएगा, लेकिन उत्तर प्रदेश का चुनावी गणित रोचक हो चला है। कृषि क़ानून विरोधी आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा बन गए राकेश टिकैत पहले नज़र में देखने पर भारतीय जनता पार्टी की सत्ता उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं, लेकिन थोड़ा गहराई से देखने पर समझ आता है कि, राकेश टिकैत भारतीय जनता पार्टी की सरकार से भले नाराज़ हों, लेकिन पार्टी के तौर पर भाजपा के ही साथ खड़े हैं।

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