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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर राष्ट्रपति भवन के भारतीयकरण की प्रक्रिया भी हुई पूरी, मुर्मू ने दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप का नया नाम दिया, अशोका हॉल हुआ अशोक मंडप!

आजादी से पहले वायसराय हाउस के रुप में दिल्ली की रायसीना पहाड़ी पर निर्मित हुआ भव्य भवन 26 जनवरी 1950 से राष्ट्रपति भवन के तौर पर जाना जाता है। लेकिन इसके तमाम कक्षों और हिस्सों के ब्रिटिश असर से मुक्त होने में सात दशक से भी अधिक का समय लग गया है। प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद से तमाम स्तरों पर भारतीयकरण की प्रक्रिया ने जोर पकड़ा, जिसका असर राष्ट्रपति भवन पर भी दिखा है। मोदी काल में राष्ट्रपति बने रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के तमाम हिस्सों के भारतीयकरण की जो शुरुआत की, उस पर आज अंतिम मुहर लग गई, जब मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप का नया नाम दे दिया और अशोका हॉल को अशोक मंडप का। ब्रिटिश शासन काल के दौरान दरबार हॉल में वायसराय का दरबार लगता था, लेकिन अब यहां भारतीय गणतंत्र के तमाम अलंकरण और सम्मान दिये जाते हैं, इसलिए इसे गणतंत्र मंडप का नाम देना उपयुक्त ही है।

Brajesh Kumar Singhअपडेटेड Jul 25, 2024 पर 8:08 PM
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर राष्ट्रपति भवन के भारतीयकरण की प्रक्रिया भी हुई पूरी, मुर्मू ने दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप का नया नाम दिया, अशोका हॉल हुआ अशोक मंडप!
अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दो प्रमुख हिस्सों को नया नाम दिया! इस तस्वीर में बाएं गणतंत्र मंडप और दाएं अशोक मंडप की तस्वीर है।

देश के सर्वोच्च संवैधानिक आसन पर बैठे हुए राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू को आज दो साल हो गये। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रति भवन के दो महत्वपूर्ण कक्षों के नाम बदल दिये। आम तौर पर राष्ट्रपति भवन की जब चर्चा होती है, तो दरबार हॉल और अशोक हॉल की ही चर्चा सबसे अधिक होती है। आखिर ये दोनों हॉल ही इसके दो सबसे खूबसूरत, भव्य कक्ष हैं। अशोक हॉल को तो अपनी भव्यता के कारण ही लार्ज जुइल बॉक्स के तौर पर भी जाना जाता है।

इतिहास से क्या है नाता?

स्वतंत्र भारत के इतिहास से भी इन दोनों कक्षों का गहरा नाता है। दरबार हॉल में जहां 15 अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी, तो अशोक हॉल में बाद के ज्यादातर प्रधानमंत्रियों ने। मौजूदा दौर में दरबार हॉल का इस्तेमाल राजकीय, नागरिक और सैन्य अलंकरणों को प्रदान करने के लिए मोटे तौर पर होता है, तो अशोक हॉल में विदेशी मिशनों के प्रमुख अपना पहचान पत्र पेश करते हैं।


अशोक हॉल का नया नाम आज से अशोक मंडप है। यहां विदेशी मिशनों के प्रमुख अपना पहचान पत्र पेश करते हैं

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