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कैंसर के मरीजों के लिए करौंदा है रामबाण, दिल रहेगा चकाचक, जानिए कैसे करें सेवन

Karonda Benefits: करौंदा सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। आयुर्वेद में यह अमृत के समान है। करौंदा एक झाड़ीदार पौधा होता है। इसके फल का इस्तेमाल सब्जी और अचार बनाने के लिए किया जाता है। यह अमूमन राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है। यह सफेद और हल्के लाल और गुलाबी रंग के होते हैं

Jitendra Singhअपडेटेड Aug 02, 2023 पर 2:22 PM
कैंसर के मरीजों के लिए करौंदा है रामबाण, दिल रहेगा चकाचक, जानिए कैसे करें सेवन
Karonda Benefits: करौंदा स्वाद में बेहद खट्टा होता है। इसमें कैल्शियम भारी मात्रा में पाया जाता है

Karonda Benefits: गर्मी और बारिश के मौसम में बाजार में करौंदा आपको जरूर दिखाई देगा। यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। आयुर्वेद में इसे अमृत कहा गया है। डायबिटीज, कैंसर, हार्ट जैसी बीमारियों के लिए यह किसी दवा से कम नहीं है। यह एक खट्टा फल होता है, जिसे अंग्रेजी में क्रेनबेरी (cranberry) कहते हैं। करौंदे को फल और सब्जी दोनों तरह से खाया जाता है। करौंदे के फलों का इस्तेमाल सब्जी और अचार के लिए किया जाता है। ये एक झाड़ी नुमा पौधा होता है। इसका वैज्ञानिक नाम कैरिसा कैरेंडस (Carissa carandus) है।

करौंदा सीजनल फल है। इसे इस सीजन में खाने से हेल्थ के लिए काफी फायदा होता है। इसमें ढेर सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें विटामिन C, B और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। करौंदा को डाइट में शामिल करने से कई बीमारियों की छुट्टी हो जाएगी। यह सफेद और हल्के लाल और गुलाबी रंग के होते हैं। इसका स्वाद खाने में बेहद खट्टा होता है। इसका इस्तेमाल लोग चटनी, जैम और जूस के रूप में भी करते हैं। बहुत से लोग करौंदे को मुरब्बे के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।

कैंसर के लिए रामबाण है करौंदा

करौंदा एंटीबॉयटिक का अच्‍छा स्रोत माना जाता है। इसमें आयोडीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। करौंदा की हमेशा हरी-भरी रहने वाली झाड़ी होती है। इसके फल, पत्तियों और जड़ की छाल से दवाएं बनाई जाती हैं। करौदें के फल पकने के बाद काले पड़ जाते हैं। ऐसे में इसे कृष्णपाक फल भी कहते हैं। करौंदा में प्रोंथोसाइनिडिन अधिक मात्रा में पाया जाता है। ये कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। इसमें एंटी कैंसर गुण होते हैं। ये कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने का काम करते हैं। यह अमूमन राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है।

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